Rohini Vrat 2025: धार्मिक शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक — कल है रोहिणी व्रत!
Rohini Vrat 2025: नवंबर महीने का रोहिणी व्रत कल रखा जाएगा। जैन धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। जानिए रोहिणी व्रत की पूजा विधि, कथा, महत्व और इसके धार्मिक व आध्यात्मिक लाभ।
रोहिणी व्रत 2025:
नवंबर महीने का रोहिणी व्रत कल बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ रखा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है, हालांकि हिंदू धर्म में भी इस व्रत का महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि रोहिणी नक्षत्र में किया गया व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति लाता है।
रोहिणी व्रत का महत्व:
रोहिणी व्रत को देवी रोहिणी के नाम से जोड़ा गया है, जो चंद्रमा की 27 पत्नियों में से एक हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब यह व्रत रखा जाता है। इस दिन उपवास और ध्यान के माध्यम से आत्मशुद्धि का लक्ष्य रखा जाता है।
जैन ग्रंथों में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को नियमपूर्वक रखता है, उसे जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न केवल सांसारिक सुख देता है बल्कि आत्मिक उन्नति में भी सहायक माना गया है।
Rohini Vrat 2025 पूजा विधि और नियम:
व्रती को इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। पूजा स्थल पर भगवान वासुपूज्य या भगवान महावीर की प्रतिमा स्थापित कर ध्यान, भक्ति और आरती करनी चाहिए।
कई लोग इस दिन निर्जला उपवास करते हैं, जबकि कुछ केवल फलाहार ग्रहण करते हैं। पूजा के अंत में परिवार की सुख-शांति और कल्याण की कामना की जाती है।
रात के समय रोहिणी नक्षत्र के उदय पर दीप प्रज्वलित करके आराधना करने का विधान है।

Rohini Vrat 2025 लाभ और फल:
- जो भी व्यक्ति यह व्रत रखता है, उसके जीवन में कठिनाइयाँ कम होती हैं।
- घर में सौभाग्य और शांति का वास होता है।
- माना जाता है कि इस व्रत से कर्मबंधनों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
- यह व्रत विशेष रूप से स्त्रियों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसे रखने से पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
रोहिणी व्रत की तिथि 2025 में:
पंचांग के अनुसार, नवंबर महीने का रोहिणी व्रत 7 नवंबर 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में रहेगा, जो शुभ संयोग का प्रतीक माना जाता है।
रोहिणी व्रत आत्मसंयम, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह व्रत हमें न केवल धार्मिक रूप से सशक्त बनाता है बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।
कल जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा, तब श्रद्धालु पूरे मनोयोग से इस व्रत का पालन करेंगे और अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करेंगे।
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