लोकसभा में SIR बहस: Amit Shah बनाम Rahul Gandhi — क्या सच सामने आया या सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप?
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में SIR (Special Intensive Revision) और चुनाव सुधारों को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने। राहुल गांधी ने EVM, वोटिंग लिस्ट और CCTV डेटा समेत 3 बड़े सवाल उठाए, वहीं अमित शाह ने विपक्ष पर वोट चोरी व संदेह फैलाने का आरोप जड़ा। जानिए किसने क्या बोला।
2025 के संसद के शीतकालीन सत्र में आज की बहस का केंद्र बना है Special Intensive Revision (SIR) — यानी चुनाव सुधार व मतदाता सूची की समीक्षा। इस बहस में सत्तापक्ष के वरिष्ठ नेता अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी आमने-सामने खड़े हुए।
Amit Shah राहुल गांधी का आरोप और मांगें
सदन में बात करते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि देश में “वोट चोरी” और चुनावी निष्पक्षता पर भरोसा मिटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव पर भरोसा नहीं रहेगा, तो लोकतंत्र खतरे में है।
उन्होंने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए तीन बड़े सवाल सरकार से पूछे:
- चुनाव के दौरान CCTV फुटेज को किस आधार पर मिटाया जाता है?
- वोटर लिस्ट और मतदाता सूची में गलती या गड़बड़ी पाई गई है, तो उसकी सत्य-पुष्टि कैसे होगी?
- क्या चुनाव आयोग (EC) स्वतंत्र और निष्पक्ष है, या सत्ता पक्ष के दबाव में काम कर रहा है?


इसके अलावा, राहुल गांधी ने चार मांगें रखीं — जैसे चुनाव से पहले रीडी-वोटर लिस्ट सार्वजनिक करना, CCTV फुटेज को सुरक्षित रखना, चुनाव आयोग की स्वतंत्र नियुक्ति प्रक्रिया सुनिश्चित करना, और मतदाता सूची में पारदर्शिता लाना।
उनका कहना था: “वोट चोरी से बड़ा कोई राष्ट्र-विरोधी काम नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ वोट गंवाना नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पुत्र है — जिसे मजबूत बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।
अमित शाह का पलटवार
वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने बहस में जवाब दिया कि न तो EVM खराब है, न वोटर लिस्ट, न ही कोई ऐसी गड़बड़ी सामने आई है जिसे साबित किया जा सके। उनका कहना था कि विपक्ष बार-बार आरोप लगाकर चुनाव प्रक्रिया पर शक के बादल लाद रहा है, जिससे जनता का भरोसा खतरे में पड़ सकता है।
शाह ने आरोप लगाया कि विपक्ष उन राज्यों की पराजय स्वीकार नहीं कर रहा, इसीलिए वह चुनावी प्रक्रिया और परिणाम को बदनाम कर रहा है। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र पर हम सबका भरोसा बनाये रखना चाहिए, और बेबुनियाद आरोप सिर्फ राजनीति है।
सरकार ने यह भी कहा कि चुनावी सुधार पर चर्चा खुलकर होनी चाहिए, पर ऐसा नहीं कि हर चुनाव के बाद SIR या अन्य प्रक्रिया को लेकर संदेह पैदा किया जाए
सदन में माहौल, बहस और भविष्य Amit Shah
आज की बहस लगभग 10 घंटे तक चली — जिसमें विपक्ष और सरकार दोनों-ही पक्षों ने अपनी पांख फड़फड़ाई।
कई सांसदों ने कहा कि अगर चुनाव प्रणाली पारदर्शी और विश्वसनीय होगी — तो देश की लोकतांत्रिक नींव मजबूत होगी। वहीं कुछ ने चेतावनी दी कि लगातार आरोप-प्रत्यारोप से जनता का चुनाव आयोग और लोकतंत्र से भरोसा उठ सकता है। अब सबकी नजर है कि अगले दिनों क्या केंद्र सरकार इस बहस को आगे लेकर किस तरह का फैसला करती है — क्या सुधार आएँगे, या बस राजनीतिक बयानबाज़ी जारी रहेगी?
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