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PM Modi on Congress : भावुक PM मोदी ने मां को याद कर क्या-क्या कहा?
PM Modi on Congress : भावुक PM मोदी ने मां को याद कर क्या-क्या कहा?
“मेरी गरीब मां की तपस्या, ये शाही खानदानों के युवराज नहीं समझ सकते, एक साड़ी…”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर अपनी मां हीराबा की याद में भावुक हो जाते हैं। हाल ही में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मां की तपस्या और संघर्षों का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि “मेरी गरीब मां की तपस्या को शाही खानदानों के युवराज कभी नहीं समझ सकते। मेरे जीवन में मां ने अभाव में रहकर भी त्याग और संस्कार दिए।”
पीएम मोदी ने अपने बचपन की एक घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी मां ने पूरे जीवन संघर्ष किया, लेकिन कभी शिकायत नहीं की। वे छोटी-छोटी खुशियों में संतोष कर लेती थीं। मोदी ने कहा—“मेरी मां के लिए एक साड़ी ही बहुत बड़ी खुशी होती थी।”

PM Modi on Congress 🔹 गरीब घर की सीख PM Modi on Congress
मोदी ने कहा कि मां ने उन्हें सिखाया कि दूसरों की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। यही संस्कार उन्हें राजनीति से पहले समाज सेवा के रास्ते पर ले आए। उन्होंने कहा कि गरीबी ने उन्हें संघर्ष करना सिखाया, लेकिन मां ने हमेशा उन्हें संयम और धैर्य का पाठ पढ़ाया।
🔹 शाही खानदान पर तंज
बिना नाम लिए पीएम मोदी ने विपक्षी दलों के “वंशवाद” पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो शाही खानदानों में पैदा होते हैं, वे त्याग और अभाव का दर्द नहीं समझ सकते। जबकि उनकी मां ने अभाव में रहते हुए भी उन्हें जीवन के सबसे बड़े मूल्य दिए।
🔹 मां के आशीर्वाद का ज़िक्र
मोदी ने कहा—“मां ने अपने जीवन का हर पल अपने बच्चों के लिए समर्पित किया। उनकी तपस्या ही मुझे आज इस मुकाम तक लाई है।”
PM Modi on Congress पीएम मोदी ने कहा, “मैं भी एक बेटा हूं, और इतने सारे माता-बहनों को देखकर आज मैं अपना दुख साझा कर रहा हूं, ताकि आप लोगों के आशीर्वाद से मैं इसे झेल पाऊं. मैं करीब 55 साल से समाज और देश सेवा में लगा हूं. समाज के लिए मुझसे जो हो सकता है, उसे करने का प्रयास किया है. ऐसा करने के लिए मुझे मेरी मां का आशीर्वाद प्राप्त रहा है. मेरी मां ने मां भारती की सेवा करने को कहा, लेकिन मुझे इस बात की पीड़ा है कि जिन्होंने देशसेवा के लिए भेजा, उन्हें ही अपमानित किया गया.”
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SCO समिट: शहबाज शरीफ सिर्फ मुखौटा, असली कमान आसिम मुनीर के हाथ?
SCO समिट: शहबाज शरीफ सिर्फ मुखौटा, असली कमान आसिम मुनीर के हाथ?
SCO समिट में दिखने के बाद फिर उठे सवाल
पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर वही पुराना सवाल गूंज रहा है—क्या प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ वास्तव में सत्ता चला रहे हैं या फिर सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के हाथ में असली कमान है? शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शरीफ की मौजूदगी ने इस बहस को और हवा दे दी है।
“शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी ने एक बार फिर चर्चा छेड़ दी है। सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई पाकिस्तान में सत्ता की बागडोर शरीफ के हाथ में है, या फिर असली कमान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के पास है? पाकिस्तान की सियासत पर ये पुराना सवाल एक बार फिर नए अंदाज़ में सामने आया है।”

SCO समिट SCO समिट लोकतांत्रिक मुखिया या सिर्फ प्रतिनिधि?
पाकिस्तान के इतिहास में यह धारणा हमेशा से बनी रही है कि लोकतांत्रिक सरकारें महज़ ‘फिगरहेड’ होती हैं, जबकि असली फैसले सेना लेती है। शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन देश के भीतर आर्थिक संकट, विदेशी कर्ज और सुरक्षा नीतियों पर सेना की सीधी पकड़ देखी जाती है।

SCO समिट SCO समिट आसिम मुनीर की ताकत
जनरल आसिम मुनीर को मौजूदा वक्त में पाकिस्तान का सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है। इमरान खान के खिलाफ कार्रवाई से लेकर IMF के साथ बातचीत और विदेश नीति तक, हर बड़े फैसले में उनकी भूमिका अहम बताई जाती है। यही वजह है कि पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि असली सत्ता रावलपिंडी (सेना मुख्यालय) के पास है, इस्लामाबाद के पास नहीं।

जनरल आसिम मुनीर विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान में सेना की भूमिका सिर्फ सुरक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने हमेशा राजनीतिक ढांचे पर भी असर डाला है। ऐसे में शहबाज शरीफ की भूमिका महज़ प्रशासनिक चेहरा बनने तक सिमट जाती है।
आगे क्या?
SCO समिट के बाद भले ही शहबाज शरीफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन देश के भीतर बढ़ते आर्थिक संकट और जनता के गुस्से के बीच असली फैसलों पर सेना की पकड़ सवालों के घेरे में बनी हुई है।
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Uttarakhand: 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा
Uttarakhand: 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा
“उत्तराखंड में 2027 विधानसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अभी से अपनी तैयारी तेज़ कर दी है। सरकार की योजनाओं से लेकर बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज़ है। पार्टी का फोकस है जनता तक सीधे पहुँच बनाना और 2027 में दोबारा सत्ता में वापसी करना।
Uttarakhand: उत्तराखंड में भाजपा मिशन 2027 की राह पर निकल पड़ी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में सरकार विकास कार्यों और योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रही है। वहीं संगठन स्तर पर बूथ कमेटियों को सक्रिय करने पर जोर दिया जा रहा है।”
Uttarakhand 2027 “सरकार का दावा है कि डबल इंजन की ताक़त से राज्य में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आए हैं।”

Uttarakhand “भाजपा ने तय किया है कि कार्यकर्ता घर-घर जाकर केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाएँगे। खासतौर से महिलाओं, युवाओं और नए मतदाताओं को जोड़ने पर ध्यान होगा।”
Uttarakhand विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा
उत्तराखंड प्रदेश में साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा पार्टी ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। चाहे संगठन विस्तार की बात की जाए या मंत्रिमंडल विस्तार की इसको लेकर भी भाजपा के भीतर मंथन चल रहा है। वहीं इस विषय पर बात करते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि भाजपा कार्यकारिणी का विस्तार जल्द हो सकता है। भाजपा के संगठनात्मक जिलों में मंडलों का विस्तार हो चुका है।
“राज्य की राजनीति में पहाड़ी इलाकों के स्थानीय मुद्दे हमेशा से अहम रहे हैं। ऐसे में भाजपा इन्हीं मुद्दों पर जनता से सीधा संवाद बनाकर चुनावी जमीन मजबूत करने में जुटी है। विपक्ष कहाँ तक चुनौती पेश करता है, ये देखना दिलचस्प होगा।”
“यानी साफ है कि 2027 की जंग अभी दूर है, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा ने जीत की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। अब देखना ये होगा कि जनता 2027 में किसके पक्ष में फैसला सुनाती है।”
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No Stress Only Health & Taste 10 मिनट की हेल्दी चाट रेसिपी
No Stress Only Health & Taste 10 मिनट की हेल्दी चाट रेसिपी
No Stress Only Health & Taste स्प्राउट्स: स्प्राउट्स को उबालकर उसमें टमाटर और खीरे जैसी सब्ज़ियाँ मिलाई जाती हैं। इस चाट में अच्छा प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं। स्प्राउट्स चाट स्वाद से समझौता किए बिना एक स्वस्थ नाश्ते का आनंद लेने का बेहतरीन तरीका है।
स्प्राउट्स चाट (10 मिनट में तैयार) No Stress Only Health & Taste
सामग्री:
- 1 कप उबले हुए अंकुरित मूंग/चना (sprouts)
- 1 छोटा प्याज (बारीक कटा)
- 1 छोटा टमाटर (बारीक कटा)
- 1 खीरा (बारीक कटा)
- 1 हरी मिर्च (बारीक कटी)
- 1 नींबू का रस
- 1 छोटा चम्मच भुना जीरा पाउडर
- स्वादानुसार काला नमक/सेंधा नमक
- 1 चम्मच हरी चटनी (वैकल्पिक)
- थोड़ी धनिया पत्ती (बारीक कटी)
- अनार के दाने (गार्निश के लिए, वैकल्पिक)

No Stress Only Health & Taste विधि:
- एक बड़े बाउल में उबले अंकुरित मूंग/चना डालें।
- इसमें प्याज, टमाटर, खीरा और हरी मिर्च मिलाएँ।
- अब नींबू का रस, भुना जीरा पाउडर और काला नमक डालकर अच्छे से मिक्स करें।
- चाहें तो स्वाद बढ़ाने के लिए हरी चटनी मिला लें।
- ऊपर से धनिया पत्ती और अनार दाने डालकर सर्व करें।
हेल्दी बेनिफिट्स: No Stress Only Health & Taste
- प्रोटीन और फाइबर से भरपूर। बिना तला–भुना, कम कैलोरी। पचने में आसान और टेस्टी।
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Dharmik : कुत्तों का स्नेह है राहु की शांति की कुंजी
Dharmik : कुत्तों का स्नेह है राहु की शांति की कुंजी
ज्योतिष, धर्म और कर्म सिद्धांत तीनों को जोड़कर ग्रहों के प्रकोप और उनके शमन की व्याख्या करता है। इसे संक्षेप और स्पष्ट रूप में ऐसे समझ सकते हैं।
Dharmik राहु और कुत्ते का संबंध
राहु का प्रतिनिधि जीव कुत्ता माना गया है। इसीलिए कुत्तों को भोजन कराना राहु को प्रसन्न करता है और उन्हें कष्ट देना राहु की उग्रता बढ़ाता है।
Dharmik कर्म और ग्रहों का रिश्ता
शास्त्र कहते हैं – “कर्म प्रधान विश्व रचि राखा” → यानी हर कर्म का फल निश्चित है। ग्रहों का अशुभ प्रभाव कई बार पूर्व जन्म के कर्मों और वर्तमान कर्मों का परिणाम होता है। इसलिए ग्रहों के दोष न केवल यज्ञ, मंत्र, रत्न से, बल्कि जीवों की सेवा और सदाचार से भी कम किए जा सकते हैं।
“जब राहु वक्री होता है, तब कुत्तों से जुड़ता है कर्म का रहस्य।”
राहु वक्री होने और कुत्तों का गहरा संबंध ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है।
राहु और कुत्तों का संबंध
- राहु का वाहन
– पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राहु का वाहन कुत्ता माना जाता है।
– इस कारण कुत्ते राहु के प्रभाव को दर्शाते हैं। - उपायों में कुत्ते का महत्व
– राहु या केतु से जुड़े दोष (जैसे राहु महादशा, राहु वक्री, राहु काल में कष्ट) में ज्योतिषाचार्य अक्सर कुत्तों को भोजन कराने की सलाह देते हैं।
– खासकर काले कुत्ते को रोटी, दूध या तिल मिले आटे की गोलियाँ खिलाना शुभ माना जाता है। - आध्यात्मिक दृष्टि से
– कुत्तों को राहु का प्रतीक माना जाता है क्योंकि वे अदृश्य शक्तियों (जैसे किसी अदृश्य खतरे) को भाँप लेते हैं।
– राहु अदृश्य और मायावी ग्रह है, इसलिए कुत्तों का स्वभाव उससे जुड़ा हुआ है।
जब राहु वक्री होते हैं, तो उनके दोषों को कम करने और शुभ फल पाने के लिए कुत्तों को भोजन कराना, उनकी सेवा करना और उनसे दुर्व्यवहार न करना धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से लाभकारी माना गया है।
जीवों और परिजनों से ग्रह शांति

Dharmik ग्रहों का सीधा संबंध हमारे नज़दीकी रिश्तों और व्यवहार से माना गया है:
- ☀️ सूर्य रुष्ट → पिता को प्रसन्न करें, सेवा करें
- 🌙 चंद्र रुष्ट → माता को प्रसन्न करें
- ♂️ मंगल रुष्ट → भाई-बहन का सम्मान करें
- ☿️ बुध रुष्ट → मामा/बंधुजनों को सम्मान दें
- ♃ गुरु रुष्ट → गुरुजनों, वृद्धों की सेवा करें
- ♀️ शुक्र रुष्ट → पत्नी या जीवनसाथी का मान-सम्मान करें
- ♄ शनि रुष्ट → सेवकों, गरीब और श्रमिकों की मदद करें
- ☊ राहु रुष्ट → कुत्तों की सेवा/भोजन कराएँ
- ☋ केतु रुष्ट → कुष्ठ रोगी, साधु-संतों की सेवा करें
“राहु की वक्री चाल, कुत्तों के साथ आपके कर्मों का हिसाब।”
केवल रत्न पहनने या यज्ञ कराने से ही ग्रह शांत नहीं होते। असली उपाय है – मानवता, जीवों की सेवा और परिवारजनों के प्रति कर्तव्य निभाना। जब हम जीवों और परिजनों के प्रति परोपकार व सम्मान का भाव रखते हैं, तो अशुभ ग्रह भी प्रसन्न होकर अपना दोष कम कर देते हैं।
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- राहु का वाहन
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PATNA में धूमधाम से मनाई गई राधाष्टमी, इस्कॉन मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
PATNA में धूमधाम से मनाई गई राधाष्टमी, इस्कॉन मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
PATNA के इस्कॉन मंदिर में रविवार को राधाष्टमी का पर्व बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और आरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों भक्तों ने भाग लिया।
PATNA के इस्कॉन मंदिर में राधाष्टमी का त्योहार बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। वहीं, मंत्रोच्चार और भक्ति गीतों की गूंज के बीच, श्रद्धालु राधा रानी की भक्ति में लीन होकर नाचते-गाते नजर आए। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ इस्कॉन मंदिर पहुंचने लगी। राधा रानी के जन्मोत्सव को लेकर मंदिर को सुंदर फूलों और रोशनी से सजाया गया था।
PATNA भक्तों की आस्था:
मंदिर प्रांगण भक्ति के रंग में डूबा नजर आया। श्रद्धालु भक्ति गीतों पर झूमते और हरि-नाम संकीर्तन में लीन होकर जयकारे लगाते रहे।

PATNA मंदिर प्रशासन की तैयारी: मंदिर प्रबंधन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद और भोग का विशेष प्रबंध किया गया। साथ ही सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर भी पूरी सतर्कता बरती गई।
विशेष आयोजन:
- राधा रानी की जन्म आरती और विशेष पूजा का आयोजन
- भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार से गूंजता रहा पूरा परिसर
- भक्तों ने नाचते-गाते हुए राधा रानी के जयकारे लगाए
राधाष्टमी के अवसर पर पटना का इस्कॉन मंदिर भक्ति के रंग में सराबोर हो गया। राधा रानी के जन्मोत्सव के इस खास मौके पर, मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और आरती का आयोजन किया गया, जिसमें शामिल होने के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े।
मंदिर का पूरा प्रांगण मंत्रोच्चार और भक्ति गीतों से गूंज उठा। राधा रानी की भक्ति में लीन श्रद्धालु नाचते-गाते और जयकारे लगाते हुए नजर आए। इस दौरान, भक्तों ने पूरे उत्साह के साथ पूजा में भाग लिया।
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भारी बारिश से Jammu-Shrinagar राजमार्ग बाधित, सांबा रिंग रोड पर 1500 ट्रक फंसे
भारी बारिश से Jammu-Shrinagar राजमार्ग बाधित, सांबा रिंग रोड पर 1500 ट्रक फंसे
Jammu-Shrinagar में लगातार हो रही भारी बारिश ने आम जनजीवन के साथ-साथ परिवहन व्यवस्था को भी प्रभावित कर दिया है। पहाड़ों पर भूस्खलन और जलभराव के कारण जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे बंद हो गया है।
जानकारी के मुताबिक सांबा रिंग रोड और आसपास के क्षेत्रों में हालात गंभीर हैं। यहाँ करीब 1500 ट्रक और दर्जनों यात्री वाहन फंसे हुए हैं। इन वाहनों में ज़रूरी सामान और फल-सब्ज़ियों की सप्लाई भी शामिल है, जिससे कश्मीर घाटी में वस्तुओं की कमी का खतरा बढ़ गया है।

Jammu-Shrinagar राजमार्ग को खोलने के लिए BRO और पुलिस की टीम राहत व बचाव कार्य में जुटी हुई है। मशीनरी लगाकर मलबा हटाया जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश के चलते दिक्कतें आ रही हैं।
Jammu-Shrinagar प्रशासन का बयान:
जम्मू-कश्मीर ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे फिलहाल यात्रा से बचें और केवल प्रशासन की अनुमति के बाद ही हाईवे पर निकलें। यात्रियों की सुविधा के लिए सांबा और आसपास के इलाकों में अस्थायी व्यवस्था की जा रही है।
भारी बारिश के कारण जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग का बाधित होना एक बार फिर घाटी को देश से जोड़ने वाली जीवनरेखा पर संकट खड़ा कर रहा है। फिलहाल राहत दल लगातार काम में लगे हुए हैं और हालात सामान्य करने की कोशिशें जारी हैं।
Modi-Putin की मुलाकात की तस्वीरें चीन के सोशल मीडिया पर छाई
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“Rahu Vakri 2025: धर्म की कसौटी पर आस्था की परीक्षा, जानें कब तक रहेगा राहु का प्रकोप और क्या होंगे नए संकेत”
“Rahu Vakri 2025: धर्म की कसौटी पर आस्था की परीक्षा, जानें कब तक रहेगा राहु का प्रकोप और क्या होंगे नए संकेत”
Rahu Vakri 2025 होने का धार्मिक दृष्टि से प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु जब वक्री (Retrograde) होते हैं, तब उनके प्रभाव और भी प्रबल हो जाते हैं। धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से यह समय कई बदलाव लेकर आता है।

Rahu Vakri 2025 Rahu Vakri 2025 धार्मिक दृष्टि से नए परिवर्तन:
- कर्मों का फल तीव्रता से मिलेगा
- राहु वक्री होने पर अच्छे और बुरे कर्मों का फल जल्दी मिलना शुरू हो जाता है।
- छुपे हुए कर्म या अधूरे कार्य सामने आ सकते हैं।
- माया और मोह की परीक्षा
- यह काल इंसान को भटकाने वाला भी हो सकता है।
- धर्मग्रंथों के अनुसार राहु मोह-माया, भ्रम और छल से जुड़े हैं, इसलिए साधक को इस समय सत्संग, ध्यान और मंत्रजाप पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- आध्यात्मिक उन्नति का अवसर
- वक्री राहु इंसान को भीतर झाँकने का अवसर देते हैं।
- साधना, तप और भक्ति से व्यक्ति नकारात्मक प्रभावों से बच सकता है और अपनी आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ा सकता है।
- परीक्षा का समय
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह काल इंसान की आस्था और संयम की परीक्षा लेता है।
- जो व्यक्ति धर्म मार्ग पर स्थिर रहता है, उसके लिए राहु वक्री वरदान साबित हो सकते हैं।
- मंत्र और पूजा का महत्व
- राहु बीज मंत्र (“ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः”) का जाप करना शुभ माना जाता है।
- शनिवार और राहु काल में पूजा, तिल का दान और हनुमान जी की आराधना विशेष फल देती है।
Rahu Vakri 2025 कब से कब तक रहेगा राहू का प्रकोप ??
राहु हमेशा ज्योतिषीय गणना के अनुसार वक्री गति से चलते हैं और लगभग 18 महीने (1.5 साल) तक एक राशि में रहते हैं। इसलिए राहु का प्रभाव या “प्रकोप” उनकी राशि परिवर्तन (गोचर) से जुड़ा होता है।
Rahu Vakri 2025 वर्तमान स्थिति (2025 के अनुसार)
- राहु अभी मीन राशि में गोचर कर रहे हैं।
- यह गोचर 30 अक्टूबर 2023 से 18 मई 2025 तक रहेगा।
- इसके बाद राहु कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे और वहाँ 18 मई 2025 से 12 दिसंबर 2026 तक रहेंगे।
राहु के “प्रकोप काल” को ऐसे समझें:
- जब राहु अशुभ भाव (जैसे 6th, 8th, 12th) में रहते हैं, तब यह प्रकोप/कष्टकारी प्रभाव देते हैं।
- राहु वक्री रहने पर उनके परिणाम दोगुने प्रबल हो जाते हैं – यानी शुभ भी अधिक, अशुभ भी अधिक।
- राहु का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली में उनकी स्थिति और दशा–महादशा के अनुसार तय होता है।
सरल शब्दों में, राहु का मौजूदा प्रकोप 18 मई 2025 तक मीन राशि वालों और जिनकी कुंडली में मीन से राहु के अशुभ स्थान बनते हैं, उन पर अधिक रहेगा। इसके बाद यह प्रभाव कुंभ राशि पर केंद्रित होगा।
Radha Ashtami 2025: कृष्ण जन्माष्टमी के बाद ही क्यूँ राधा अष्टमी मनाया जाता है ?
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- कर्मों का फल तीव्रता से मिलेगा



