UP: भाजपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भीषण गर्मी में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा बेकार है। बिजली कटौती से कहीं लोगों को पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं लोग भारी गर्मी में बिलख रहे हैं। दूसरी ओर, बिजली दरों को बढ़ाने का कोई उपाय नहीं मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश में बिजली का मुद्दा राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। कांग्रेस ने सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया, जबकि सपा ने बिजली की दरें बढ़ाकर मतदाताओं से हार का बदला लिया। विभिन्न दलों के नेताओं ने कहा कि ऊर्जा मंत्री झूठ बोल रहे हैं कि 24 घंटे आपूर्ति होगी। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अंधाधुंध कटौती हो रही है।
UP: भाजपा अपनी हार का बदला ले रही है: अकेलेश
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव में अपनी हार से बौखलाई होकर प्रदेश के मतदाताओं को परेशान करके बदला लेने पर उतारू है। प्रचुर गर्मी में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति का दावा गलत है। बिजली कटौती से कहीं लोगों को पानी नहीं मिल रहा है तो कहीं लोग भारी गर्मी में बिलख रहे हैं। दूसरी ओर, बिजली दरों को बढ़ाने का कोई उपाय नहीं मिल रहा है।
UP: राय: दरों को बढ़ाने से पहले आपूर्ति को सुधारना चाहिए
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा गलत है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर दस से बारह घंटे बिजली मिलती है। यह महत्वपूर्ण है कि उपभोक्ताओं को लोकल फाल्ट से कोई लेना देना नहीं है; उसे कितने घंटे बिजली मिल रही है? बिजली की लागत किसी भी तरह नहीं बढ़नी चाहिए। बिजली की कमी के कारण पूर्वांचल में छोटे-छोटे कारखाने बंद हो जाएंगे।
UP: बिजली दरों को बढ़ाना अनुचित है—हीरालाल
हीरालाल यादव, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के राज्य सचिव, ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन द्वारा ग्रामीण विद्युत दरों को बढ़ाने का अलग-अलग उपाय करना निंदनीय है। निदेशक मंडल के प्रस्ताव से सभी ग्राहकों को दो से ढाई रुपये महंगे दर पर भुगतान करना पड़ेगा। इसलिए ऐसा प्रस्ताव अस्वीकार किया जाए।
”कल अवमानना याचिका दाखिल होगी
उपभोक्ता परिषद मंगलवार को नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करेगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति के नाम पर ग्रामीण फीडर को शहरी घोषित करने और शहरी बिलिंग के आदेश के खिलाफ है। निदेशक मंडल ने जनवरी-फरवरी में फीडर बदलने का निर्णय लिया था, लेकिन अब आदेश जारी किया गया है, परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया। उनका कहना था कि सरकार ने किसानों और ग्रामीण घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों को कम करने के लिए लगभग 14000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है, जिससे शहरी फीडर की अपेक्षा ग्रामीण फीडर की दरें कम हों। यदि कम्पनी ग्रामीण क्षेत्र को शहरी क्षेत्र में बदल देती है, तो यह सब्सिडी व्यवस्था का उल्लंघन होगा।
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