Power Cut:

Power Cut: गांवों में छह घंटे की कटौती, दस बिजलीघर बंद, एक जुलाई से रोस्टर प्रणाली लागू

Uttar Pradesh

Power Cut: यूपी में गांवों में छह घंटे की कटौती के आदेश से हाहाकार मचा हुआ है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन की रणनीति पर चिंता व्यक्त की है।

प्रदेश में पर्याप्त बिजली उपलब्ध होने के बावजूद गांवों में छह घंटे की विद्युत कटौती का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि राज्य में छह पावर हाउस बिजली बंद हैं, यानी रिजर्व शट डाउन (आरएसडी)। वहीं, चार बिजलीघरों को तकनीकी कारणों से और मरम्मत कार्य चलते हुए बंद कर दिया गया है। उपभोक्ता परिषद ने पावर कॉरपोरेशन की इस नीति पर सवाल उठाया है और इसे उपभोक्ताओं के साथ नाइंसाफी बताया है।

जुलाई से राज्य में रोस्टर व्यवस्था लागू हो गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में छह घंटे, बुंदेलखंड में चार घंटे और नगर पंचायतों और तहसील मुख्यालयों में ढाई घंटे की कमी की जा रही है। वहाँ दस बिजलीघर बंद कर दिए गए। इसमें छह उत्पादन इकाइयों का बंद होना रिजर्व शटडाउन (RSD) बताया गया है। RSDH के तहत बंद होने का सीधा अर्थ है कि अधिक उत्पादन पर बिजली कहां खर्च करें? RSDH के तहत टांडा की एक, दो, तीन और चार इकाई हैं, जबकि हरदुआगंज की सात, आठ और नौ इकाई हैं। इन सबके कारण कुल 795 मेगावाट बिजली उत्पादन में कमी आई है। 10 इकाइयों को मिलाकर 1522 मेगावाट अधिक विद्युत उत्पादन हुआ है।

Power Cut: बंद होने का कारण

सूत्रों के अनुसार, राज्य में विद्युत उत्पादन इकाइयों से पावर कॉरपोरेशन बिजली खरीदता है। विभिन्न दरें, औसतन तीन रुपये प्रति यूनिट से अधिक हैं। छह घंटे की कमी के बाद राज्य की मांग 25 से 27 हजार मेगावाट तक गिर गई है, जबकि एक्सचेंज पर खरीद 70 पैसे से चार रुपये प्रति यूनिट तक है। ऐसे में इन उपकरणों से उत्पादन करने में कम खर्च और अधिक मुनाफा होता है। यही कारण है कि छह यूनिटों को RSDH द्वारा बंद कर दिया गया है।

Power Cut: रोस्टर के बीच आरडीएस में पहली बार छह इकाइयां बंद

राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली की इकाइयों को तकनीकी खराबी या मरम्मत के नाम पर बंद करना आम है, लेकिन छह घंटे की कटौती के बीच छह इकाइयों को आरएसडी में बंद करना गैरकानूनी है। राज्य के पास स्पष्ट रूप से पर्याप्त बिजली है। इसके बाद भी सावधानीपूर्वक कटौती की जाती है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद इसके खिलाफ न्यायिक कार्रवाई करेगी। उसने कहा कि राज्यों में बिजली उत्पादन इकाइयां दिखाई देती हैं क्योंकि वे जनता को बिजली देते हैं, लेकिन प्रदेश में यह बंद कर दिया गया है क्योंकि ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली नहीं मिलती है। मुख्यमंत्री से इस मामले में मदद की मांग की है।

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