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Mayawati: संविधान की रक्षा करने वाले लोग चुप क्यों हैं? मायावती ने क्रीमीलेयर आरक्षण को खारिज कर दिया

Uttar Pradesh

Mayawati: प्रेस वार्ता में बसपा अध्यक्ष मायावती ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर हमला बोला। उन् होंने केंद्रीय सरकार पर भी हमला बोला। मायावती ने कहा कि मोदी सरकार ने एससी-एसटी क्रीमीलेयर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सही पैरवी नहीं की।

शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी राय दी। मायावती ने लखनऊ में एक प्रेस वार्ता में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश् वासन भर से कुछ नहीं होगा। केंद्र सरकार को संसद का सत्र बुलाकर क्रीमीलेयर और अनुसूचित जाति आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। मायावती ने कहा कि मोदी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सही पैरवी नहीं की। संसद का सत्र समय से पहले स् थगित नहीं करना चाहिए अगर प्रधानमंत्री की नीयत स्पष्ट है। विशेष सत्र आयोजित करना चाहिए।

केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानकर संसद में बिल लाना चाहिए, बकौल बसपा अध्यक्ष। कांग्रेस और बीजेपी आरक्षण के खिलाफ हैं। नौकरियों को खत्म करने और संविदा पर तैनाती आरक्षण को खत्म करने की ही कोशिश इनकी सरकारों ने की है। क्रीमीलेयर के माध्यम से आरक्षण को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। संसद का सत्र समाप्त हो गया, लेकिन इस सबंध में कोई विधेयक नहीं लाया गया था।

Mayawati: “देश में 40 करोड़ लोग ठग रहे हैं”

बसपा अध्यक्ष ने बगैर नाम बताए राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर भी हमला बोला। उन् होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में संविधान की रक्षा करने वाले लोगों ने अब एससी-एसटी क्रीमीलेयर आरक्षण पर कुछ नहीं कहा। कांग्रेस और सपा ने संसद के दौरान इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से नहीं उठाया। कांग्रेस की तरह बीजेपी भी देश के चालिस करोड़ लोगों को ठगा है।

Mayawati: संशोधन बिल की मांग उठी संविधान में

मायावती, बसपा की अध्यक्ष, ने पहले भी एससी-एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण पर संविधान संशोधन बिल की मांग की थी। शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए बीजेपी के एससी-एसटी सांसदों को उन्होंने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा और उपवर्गीकरण को लागू नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल द्वारा उप वर्गीकरण के पक्ष में दलील नहीं दी गई होती तो शायद यह निर्णय नहीं आता।

उनका कहना था कि राज्य सरकारें एससी-एसटी वर्ग का उपवर्गीकरण लागू करके राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान संशोधन के माध्यम से निष्प्रभावी कर सकती हैं, जब तक कि फैसला संविधान संशोधन से निष्प्रभावी नहीं किया जाएगा।

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