Bach Baras:

Bach Baras: यह व्रत कथा बछ बारस के दिन पढ़ने से आपको संतान की लंबी आयु का वरदान मिलेगा।

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Bach Baras: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को बछ बारस का व्रत किया जाता है। महिलाएं इस दिन अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और पूजन करती हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत के साथ व्रतकथा का पाठ करना शुभ होता है।
30 अगस्त 2024 को बछ बारस का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन गौमाता को बछड़े के साथ पूजा जाता है। इसे गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। जिन महिलाओं को अभी संतान नहीं है, वे इस व्रत को खासतौर पर अपनी संतान की लंबी आयु के लिए करती हैं। मान्यता है कि इस दिन बछ बारस की पूजा करने और व्रतकथा सुनने से व्रत का दोगुना लाभ मिलता है।

Bach Baras: बछ बारस व्रत कथा

 Bach Baras: एक गांव में एक साहूकार था जिसके सात बेटे थे। साहूकार ने एक बार एक तालाब बनाया, लेकिन बारह वर्षों तक उसे भर नहीं सका। साहूकार इससे परेशान होकर कुछ विद्वान पंडितों से पूछा कि इतने दिन हो गए लेकिन मेरा तालाब क्यों नहीं भरता? पंडितों ने कहा कि तालाब भरने के लिए आपको अपने बड़े बेटे या पोते की बलि देनी होगी।

तब साहूकार ने अपने बड़े पोते की बलि दे दी और अपनी बड़ी बहु को उसके माता-पिता के घर भेज दिया। बाद में तेज बारिश हुई, तालाब भर गया।

Bach Baras: तब बछ बारस आया और सब लोगों ने कहा कि उनका तालाब पूरा भर गया है, इसकी पूजा करें।साहूकार तालाब में अपने परिवार के साथ पूजा करने गया। वह दासी से कहा कि गेहुला पका ले।

गेहुला से का अर्थ है गेहूं के धान से। दासी ने नहीं समझा। गेहुला दरअसल एक गाय के बछड़े का नाम था। गेहुला को ही उसने पका लिया। बड़े बेटे की पत्नी भी पीहर से तालाब की पूजा करने आई थी। तालाब पूजने के बाद वह अपने बच्चों से प्यार करने लगी।

तालाब से मिटटी में लिपटा हुआ उसका बड़ा बेटा तभी निकला और मां से कहा, मुझे भी प्यार करो। तब दोनों सास-बहू एक दूसरे को देखने लगे। सास ने बहु को बलि देने की पूरी कहानी बताई। फिर माता ने कहा कि बछबारस माता ने हमारी लाज रखी और हमारा बच्चा वापस दे दिया। तालाब की पूजा करने के बाद उन्होंने देखा कि बछड़ा नहीं था।

साहूकार ने दासी से कहा कि बछड़ा आपने पकाने को कहा था। साहूकार ने कहा कि अभी एक पाप उतरा ही है। आपने दूसरा पाप बनाया। साहूकार ने मिटटी में पका हुआ बछड़ा दबा दिया।

गाय शाम को वापस आई और अपने बछड़े को खोदने लगी। तभी बछड़ा मिटटी से बाहर निकल गया। पता चला तो साहूकार भी बछड़े को देखने गया। उसने देखा कि बछड़ा गाय का दूध पी रहा था। तब साहूकार ने पूरे गाँव में कहा कि हर बेटे की माँ को तालाब पूजना चाहिए और बछ बारस का व्रत करना चाहिए। हे बछबारस माता, साहूकार की बहु को ऐसा ही व्यवहार हमें भी करना। कहानी सुनते ही सभी की इच्छा पूरी करें। इसके बाद श्रीकृष्ण की कहानी बताओ।

Bach Baras: यह व्रत कथा बछ बारस के दिन पढ़ने से आपको संतान की लंबी आयु का वरदान मिलेगा।


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