Quitting Politics Rohini Acharya “राजनीति और परिवार दोनों छोड़ रही हूँ”: लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने RJD की करारी हार के बाद किया चौंकाने वाला ऐलान“राजनीति और परिवार दोनों छोड़ रही हूँ”: लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने RJD की करारी हार के बाद किया चौंकाने वाला ऐलान
RJD की हार के बाद रोहिणी का बड़ा उलटफेर
Quitting Politics Rohini Acharya लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने बिहार चुनाव में RJD की हार के बाद राजनीति छोड़ने का मन बना लिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर यह भी कहा है कि वे अपने परिवार से भी दूरी बना रही हैं — राजनीतिक और पारिवारिक दोनों जीवन से स्पष्ट विदाई।
बिहार की राजनीति में एक नया और भावनात्मक मोड़ तब आया जब रोहिणी आचार्य, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी, ने चुनाव नतीजों के बाद एक बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया। उन्होंने घोषणा की है कि वे राजनीति छोड़ रही हैं — और सिर्फ इतना ही नहीं, वे अपने परिवार से भी दूरी बना लेंगी।
रोहिणी ने यह फैसला उस समय लिया है जब RJD महागठबंधन की हार का सामना कर रही है। यह ऐलान सामाजिक और राजनीतिक दोनों ही स्तर पर एक झटका माना जा रहा है क्योंकि उनका नाम ही लालू-परिवार की राजनीतिक विरासत से जुड़ा हुआ था।

राजनीति छोड़ने का फैसला Quitting Politics Rohini Acharya
सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर रोहिणी ने अपने फैसले को सार्वजनिक किया। खबरों के अनुसार, उन्होंने 58 नेताओं — जिनमें उनके पिता लालू यादव, भाई तेजस्वी यादव और अन्य RJD नेता शामिल थे — को अनफॉलो किया है। इतना ही नहीं, उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल से उनके पिता और अन्य परिवार के सदस्यों की तस्वीरें हटा दी गई हैं। इससे साफ संकेत मिलता है कि यह सिर्फ राजनीतिक दूरी नहीं है, बल्कि पारिवारिक टूट-फूट की शुरुआत है।
Quitting Politics Rohini Acharya उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर कोई यह साबित कर सके कि उन्होंने कभी किसी पद, टिकट या किसी दूसरे फायदे की मांग की है, या कि उनकी द्वारा पिता को किडनी दान देने की कहानी झूठी है, तो वे राजनीति और सार्वजनिक जीवन दोनों से ही अलग हो जाएँगी।
यह बयान पहले भी रोहिणी की तीखी प्रतिक्रियाओं की ओर इशारा करता है। पिछले कुछ महीनों में उन्होंने परिवार और पार्टी के सदस्यों को सोशल मीडिया पर तीखे संदेश दिए हैं, और वे खुली चुनौती तक दे चुकी हैं।
यह सिर्फ चुनाव की हार नहीं, परिवार से दूरी का संकेत भी है
पारिवारिक विवाद की झलक इन घटनाओं से देखने को मिल रही है। ऐसा लगता है कि रोहिणी न केवल राजनीतिक रूप से असहमति में हैं, बल्कि पारिवारिक मूल्यों और आत्म-सम्मान के मुद्दों पर गहरे विचार कर रही हैं। ऐसा लग रहा है कि यह फैसले उनका व्यक्तिगत और भावनात्मक मोड़ है, न कि सिर्फ सियासी हार का परिणाम।
Quitting Politics Rohini Acharya रोहिणी का राजनीतिक करियर भी इतना सरल नहीं रहा। उन्होंने सारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन राजीव प्रताप रूडी (BJP) ने उन्हें लगभग 13,661 वोटों के अंतर से हरा दिया था। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर सफाई देने की कोशिश की थी, और उन पर लगे आरोपों का खुलकर सामना किया था। उनकी राजनीतिक आवाज़ में हमेशा आत्म-सम्मान और पारिवारिक प्रतिष्ठा की गूंज रही है। उन्होंने कहा था कि पद या महत्त्वाकांक्षा उनके लिए पहले कभी प्राथमिकता नहीं रही — बल्कि आत्म-सम्मान पहले आता है।
उनका निजी और सार्वजनिक जीवन आपस में उलझा हुआ है। 2022 में, उन्होंने अपने पिता लालू यादव को किडनी दान की थी, जो एक बहुत बड़ा और भावनात्मक कदम था। लेकिन पिछले समय में उस दान की सच्चाई पर सवाल उठे थे, जिसे उन्होंने खुली चुनौती के साथ संबोधित किया था। अब, इस ऐलान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि लालू-परिवार के अंदरूनी मतभेद कितने गहरे हैं। क्या रोहिणी का यह फैसला सिर्फ एक झटका है, या यह भविष्य में RJD के भीतर और अधिक व्यवधान का संकेत है?
राजनीति के मंच से उनका विदा-नोट जितना राजनीतिक है, उतना ही व्यक्तिगत और पारिवारिक भी है — और इसे बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
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