Wednesday, December 17, 2025
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Delhi Air Pollution हवा नहीं, ज़हर सांसों में घुल रहा है

Delhi Air Pollution हवा नहीं, ज़हर सांसों में घुल रहा है

जहरीली हवा का खौफनाक सच: प्रदूषण से फेफड़ों में बन रहे कोरोना जैसे पैच, CT-Scan में दिखे चौंकाने वाले निशान। बढ़ते वायु प्रदूषण का सीधा असर अब फेफड़ों पर दिखने लगा है। डॉक्टरों के अनुसार CT-Scan में कोरोना काल जैसे पैच नजर आ रहे हैं, जो गंभीर स्वास्थ्य खतरे की ओर इशारा करते हैं।

देश के कई बड़े शहरों में जहरीली होती हवा अब सिर्फ आंखों में जलन या गले की खराश तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसका सीधा और गंभीर असर इंसानी फेफड़ों पर देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों और रेडियोलॉजिस्ट्स का कहना है कि हाल के महीनों में किए जा रहे CT-Scan में फेफड़ों के अंदर ऐसे पैच दिखाई दे रहे हैं, जो कोरोना संक्रमण के दौरान देखे गए निशानों से काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। यह खुलासा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए भी चिंता का बड़ा कारण बन गया है।

Delhi Air Pollution कोरोना गया, लेकिन फेफड़ों के पैच लौट आए

लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में सूजन, संक्रमण जैसी स्थिति और टिश्यू डैमेज बढ़ रहा है। खासकर दिल्ली-NCR, उत्तर भारत और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में यह समस्या अधिक देखने को मिल रही है। डॉक्टरों का कहना है कि कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ, फिर भी उनके CT-Scan में ग्राउंड ग्लास ऑपेसिटी (GGO) जैसे पैच नजर आ रहे हैं, जो आमतौर पर कोविड संक्रमण के दौरान देखे जाते थे।

वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म प्रदूषण कण फेफड़ों के सबसे निचले हिस्से तक पहुंच जाते हैं। ये कण वहां सूजन पैदा करते हैं और धीरे-धीरे फेफड़ों की कार्यक्षमता को कमजोर कर देते हैं। लंबे समय तक इसका असर रहने पर सांस फूलना, लगातार खांसी, सीने में जकड़न और यहां तक कि ऑक्सीजन लेवल गिरने जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।

रेडियोलॉजिस्ट बताते हैं कि CT-Scan में दिख रहे ये पैच किसी एक दिन की समस्या नहीं हैं, बल्कि महीनों तक प्रदूषण के संपर्क में रहने का नतीजा हो सकते हैं। यह स्थिति खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों, अस्थमा और पहले से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। डॉक्टरों का मानना है कि अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में क्रॉनिक लंग डिजीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।

प्रदूषण बना साइलेंट किलर, सांस लेना भी बनता जा रहा है चुनौती

स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोना के बाद लोगों में पहले से ही फेफड़ों की संवेदनशीलता बढ़ी हुई है। ऐसे में जहरीली हवा एक “साइलेंट किलर” की तरह काम कर रही है। कई मरीज मामूली लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन जब CT-Scan कराया जाता है, तो अंदरूनी नुकसान सामने आता है।

डॉक्टरों की सलाह है कि प्रदूषण के स्तर को देखते हुए लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल, घर के अंदर एयर प्यूरीफायर, सुबह-शाम खुले में टहलने से बचना और सांस संबंधी लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है। साथ ही, सरकार और प्रशासन से भी वायु प्रदूषण पर सख्त कदम उठाने की मांग तेज हो रही है।

यह साफ है कि अगर अब भी इस जहरीली हवा को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आने वाला समय फेफड़ों की बीमारियों के मामले में और भी डरावना हो सकता है।



Delhi Air Pollution: अब मास्क पहनकर ही जीना होगा दिल्ली को, सांस लेना हुआ मुश्किल

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