Monday, December 22, 2025
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Save Aravalli: अरावली का अस्तित्व खतरे में? जानें 2.5 अरब साल पुरानी इस पर्वतमाला जानिए क्यों इसे बचाना हमारी मजबूरी है?

Save Aravalli:अरावली का अस्तित्व खतरे में? जानें 2.5 अरब साल पुरानी इस पर्वतमाला जानिए क्यों इसे बचाना हमारी मजबूरी है?

Save Aravalli: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली पर्वतमाला और वन क्षेत्र की परिभाषा को लेकर दिए गए फैसले के बाद से देशभर में एक नई बहस छिड़ गई है। जहाँ एक तरफ पर्यावरणविदों (Environmentalists) ने चेतावनी दी है कि इससे अरावली के अस्तित्व पर संकट गहरा सकता है और अवैध खनन को बढ़ावा मिल सकता है, वहीं सरकार का तर्क है कि अरावली का 90% से अधिक हिस्सा अभी भी सुरक्षित रहेगा।

लेकिन इस शोर-शराबे के बीच यह समझना ज़रूरी है कि आखिर 2.5 अरब साल पुरानी यह पर्वतमाला भारत, विशेषकर उत्तर भारत के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? क्या सच में अरावली के बिना दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान का दम घुट जाएगा? आइए विस्तार से जानते हैं।

अरावली पर्वतमाला क्या है? (What is the Aravalli Range?)

अरावली पर्वतमाला दुनिया की सबसे पुरानी भौगोलिक संरचनाओं में से एक है। यह ‘वलित पर्वत’ (Fold Mountains) की श्रेणी में आती है। इसकी उत्पत्ति हिमालय से भी करोड़ों साल पहले हुई थी।

  • विस्तार: यह पर्वत श्रृंखला गुजरात के हिम्मतनगर से शुरू होकर राजस्थान और हरियाणा होते हुए दिल्ली तक फैली है। इसकी कुल लंबाई लगभग 692 किलोमीटर है।
  • ऊंचाई: इसका सबसे ऊंचा शिखर ‘गुरु शिखर’ है, जो माउंट आबू (राजस्थान) में स्थित है और इसकी ऊंचाई 1,722 मीटर है।
  • आयु: भूवैज्ञानिकों के अनुसार, अरावली का निर्माण लगभग 2.5 अरब (2500 मिलियन) वर्ष पूर्व हुआ था। यानी इसने पृथ्वी पर डायनासोर के आने और जाने, दोनों का दौर देखा है।

अरावली पर्वतमाला: 2.5 अरब साल पुरानी ‘भारत की हरी दीवार’ जो हमें रेगिस्तान बनने से बचा रही है

अरावली: सिर्फ पहाड़ नहीं, भारत का रक्षा कवच है ये 2.5 अरब साल पुरानी श्रृंखला

अरावली पर्वतमाला किससे बनी है? (What is it made of?)

अरावली की चट्टानें पृथ्वी के इतिहास की गवाह हैं। यह मुख्य रूप से रूपांतरित चट्टानों (Metamorphic Rocks) से बनी है।

  1. चट्टानों के प्रकार: इसमें मुख्य रूप से क्वार्टजाइट (Quartzite), नीस (Gneiss) और शिस्ट (Schist) चट्टानें पाई जाती हैं।
  2. खनिज संपदा: अरावली खनिजों का भंडार है। इसमें तांबा, जस्ता, सीसा और अभ्रक (Mica) भारी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा, यहाँ मिलने वाला संगमरमर और ग्रेनाइट पूरी दुनिया में मशहूर है। यही खनिज संपदा इसके लिए अभिशाप भी बन गई है, क्योंकि इसी के लालच में यहाँ अंधाधुंध अवैध खनन होता रहा है।

अरावली पर्वतमाला क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is the Aravalli Range Important?)

अरावली को केवल पत्थरों का ढेर समझना सबसे बड़ी भूल होगी। यह उत्तर भारत के लिए एक ‘रक्षा कवच’ और ‘फेफड़ों’ (Lungs) का काम करती है।

1. मरुस्थल के प्रसार को रोकना (The Great Green Wall) अरावली, थार मरुस्थल (Thar Desert) और उत्तर भारत के उपजाऊ मैदानों के बीच एक दीवार की तरह खड़ी है। यदि अरावली नहीं होती, तो राजस्थान का रेगिस्तान पूर्व की ओर बढ़ते हुए हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को निगल लेता। यह पर्वतमाला रेगिस्तानी आंधियों को रोकती है।

2. उत्तर भारत का ‘वाटर टावर’ (Groundwater Recharge) अरावली की दरारें और घाटियाँ बारिश के पानी को सोखने का काम करती हैं। यह क्षेत्र हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के भूजल (Groundwater) को रिचार्ज करने का मुख्य स्रोत है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अरावली के खत्म होने से उत्तर भारत में भीषण जल संकट पैदा हो जाएगा।

3. जलवायु नियंत्रक (Climate Regulator) यह पर्वतमाला हवाओं की दिशा तय करती है। यह अरब सागर से आने वाली मानसून की हवाओं को उत्तर भारत की ओर ले जाने में मदद करती है, जिससे वर्षा होती है। इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती गर्मी को सोखने में यहाँ के जंगल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

4. प्रदूषण से रक्षा (Pollution Barrier) दिल्ली-एनसीआर दुनिया के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में से एक है। अरावली के जंगल एक नेचुरल एयर प्यूरीफायर (Air Purifier) की तरह काम करते हैं, जो धूल और जहरीली गैसों को सोख लेते हैं।

5. जैव विविधता (Biodiversity) यह क्षेत्र तेंदुओं, लकड़बग्घों, सियार और सैकड़ों प्रकार के पक्षियों का घर है। यह एक समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) है जिसे बचाना बेहद ज़रूरी है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और सरकार की दलीलें अपनी जगह हैं, लेकिन प्रकृति के नियमों को टाला नहीं जा सकता। अरावली है, तो उत्तर भारत की सांसें चल रही हैं। इसे केवल ज़मीन का टुकड़ा मानकर कंक्रीट के जंगल में बदलना, भविष्य की पीढ़ियों को रेगिस्तान और सूखे की सौगात देने जैसा होगा। विकास ज़रूरी है, लेकिन विनाश की कीमत पर नहीं।



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