Chandrashekhar Azad:

Chandrashekhar Azad: अंग्रेजों ने धोखा खाया! बिस्मिल की शहादत के बाद चंद्रशेखर आजाद ने ग्वालियर में पहला बम डाला था, ये रही जगह

Madhya Pradesh

Chandrashekhar Azad: ग्वालियर के जनकगंज क्षेत्र में चंद्रशेखर आज़ाद ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गुप्त बैठकें कीं और बम बनाए थे। आज़ाद ने इस काम में रामकृष्ण पांडे की मदद की। यह जगह आज भी स्वतंत्रता की लड़ाई की कहानी कहती है। ऐसे महत्वपूर्ण स्थानों में पांडे का घर और लक्ष्मीनारायण मंदिर शामिल थे।

चंद्रशेखर आज़ाद का नाम सुनते ही स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी नायक की वीरता और अंग्रेजों से लड़ाई की याद आती है। कम लोगों को पता था कि चंद्रशेखर आज़ाद का मध्य प्रदेश का ग्वालियर से भी गहरा संबंध था। यहीं उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहुत कुछ किया, जो उनके क्रांतिकारी जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

Chandrashekhar Azad: ग्वालियर और चंद्रशेखर आज़ाद के संबंध

वास्तविक नाम चंद्रशेखर तिवारी था। जब वे मर गए, वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे। आज़ाद के करीबियों में से एक थे रामकृष्ण पांडे, जो ग्वालियर में उनके क्रांतिकारी दल के प्रमुख साथी थे। ग्वालियर के जनकगंज क्षेत्र में पांडे का घर आज़ाद क्रांतिकारी मिशन का एक गुप्त केंद्र था, जहां गोपनीय बैठकें होती थीं और बम बनाए जाते थे।

Chandrashekhar Azad: रामकृष्ण पांडे का घर बम बनाने का स्थान था।

रामकृष्ण पांडे के घर में क्रांतिकारी योजनाएं बनाई जाती थीं और बम बनाया जाता था। माना जाता है कि राम प्रसाद बिस्मिल की हत्या के बाद ग्वालियर में पहला बम लगाया गया था। पांडे के घर से मिठाई के डिब्बों के नीचे छिपाकर बम चंद्रशेखर आज़ाद को भेजा जाता था। पांडे परिवार आज भी ग्वालियर के जनकगंज क्षेत्र में इस घर में रहता है।

Chandrashekhar Azad: आज़ाद की ग्वालियर में गोपनीय गतिविधियां

ग्वालियर में चंद्रशेखर आज़ाद अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ अक्सर मिलते थे। उनके विशिष्ट सदस्यों में मलकापुरकर, पोतदार और रामकृष्ण पांडे शामिल थे। آزاد ने कई बार ग्वालियर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में शरण ली। रामकृष्ण पांडे ने उन्हें अंग्रेजों की गतिविधियों के बारे में बताया। मुक्तिदाता ने एक बार अंग्रेजों को घेरने की कोशिश की, लेकिन रामकृष्ण पांडे की मदद से मुक्तिदाता ने बम फेंककर अंग्रेजों को हराया।

स्वतंत्रता सेनानी रामकृष्ण पांडे

लगभग ९० वर्षों तक जीवित रहते हुए, रामकृष्ण पांडे एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 22 दिसंबर 1988 को उनका देहावसान हुआ। चंद्रशेखर आज़ाद की मदद करने और उनके घर में बम डालने के बारे में आज भी उनके परिवार और पड़ोसी गर्व से बताते हैं।

ग्वालियर की ऐतिहासिक विशेषता

ग्वालियर में रामकृष्ण पांडे के घर से लगभग 300 मीटर दूर था। क्रांतिकारी दल ने इन दो स्थानों पर गोपनीय बैठक की। आज भी यह जगह स्वतंत्रता संग्राम का स्मारक है। ग्वालियर का जनकगंज क्षेत्र और इसकी पुरानी गलियां स्वतंत्रता संघर्ष की कहानियों को जीवित रखते हैं।

Chandrashekhar Azad: अंग्रेजों ने धोखा खाया! बिस्मिल की शहादत के बाद चंद्रशेखर आजाद ने ग्वालियर में पहला बम डाला था, ये रही जगह


चंद्रशेखर आजाद जिन्हें कभी अंग्रेज जिंदा नहीं पकड़ पाए थे Chandrashekhar Azad History.


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