Delhi Air Pollution: अब मास्क पहनकर ही जीना होगा दिल्ली को, सांस लेना हुआ मुश्किल
Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु गुणवत्ता अत्यंत खराब स्तर पर पहुँच गई है। विशेषज्ञों ने प्रमुख कारण बताए हैं: वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण-धूल, पूर्वोत्तर व उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली कृषि आग की धुँआ। आने वाले तीन दिनों में AQI ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रहने की चेतावनी दी गई है।
Delhi Air Pollution दिल्ली का धुंध-मरा आसमान: अगले 72 घंटों में ‘बेहद खराब’ हवाओं का आगमन।
दिल्ली और उसके आसपास का क्षेत्र फिलहाल वायु गुणवत्ता के लिए गंभीर मोड़ पर है। राजधानी क्षेत्र में दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘बहुत खराब’ या ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया जा चुका है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक यहाँ का AQI 300 के पार जा चुका है।
विशेषज्ञों ने बताया है कि वायु प्रदूषण की वर्तमान लहर सिर्फ मौसम-स्थिति की वजह से नहीं बल्कि कई स्रोतों के संयोजन से उत्पन्न हुई है। प्रमुख वजहों में शामिल हैं — वाहन उत्सर्जन, निर्माण-धूल, कृषि-परदहन (स्टाबल बर्निंग), औद्योगिक धुआँ तथा मौसम की अनुकूल स्थिति (जैसे शांत वायु, कम तापमान व कम वायुगति) जिनकी वजह से धूल-दहन वाले कण जमा हो रहे हैं।
विशेष रूप से, कृषि अवशेष जलाना (स्टबल बर्निंग) उत्तरी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख कारण माना जाता है, जिसके धुएँ का एक हिस्सा दिल्ली तक पहुँच जाता है। इसके अलावा, सड़क-वाहन से निकलने वाला धुंआ, दीर्घकालीन निर्माण कार्यों की धूल तथािंग-प्रदूषणीय गतिविधियाँ भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

AQI चिन्ता का कारण दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिन सावधानी बरतें
मौसम की दृष्टि से, इस वक्त हवा कमजोर गति से चल रही है और वायुमंडलीय स्थितियाँ कणों को स्थिर होने का मौका दे रही हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में हवा में महीन कण (PM2.5, PM10) की मात्रा तेजी से बढ़ी है और राहत-के संकेत नहीं मिल रहे।
मौसम एवं माप-दंडों को देखते हुए, अगले तीन दिनों में वायु गुणवत्ता स्थिर रूप से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी रहने का अनुमान है। यह स्थिति विशेष रूप से सुबह-सुबह अधिक गम्भीर हो सकती है, जब तापमान कम होगा, धुल-उड़ान कम होगी, और धुँआ जमने की स्थिति अधिक होगी।
स्वास्थ्य-दृष्टि से यह बहुत गंभीर विषय है। जब AQI 300 से ऊपर होता है तो सांस लेने में तकलीफ, आंख-गला जलना, श्वसन-रोगों का बढ़ना आदि आम बात हो जाती है। बच्चों, बुज़ुर्गों, गर्भवती महिलाओं तथा फेफड़ों /हृदय संबंधी समस्या वाले व्यक्तियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
इस परिस्थिति में नागरिकों को कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए:
- बाहरी गतिविधियों को कम-से-कम करें, खासकर सुबह-सुबह या शाम को जब वायुमंडलीय हालात ज्यादा खराब हों।
- यदि बाहर निकलना आवश्यक हो तो मास्क (विशेष रूप से N95 या उससे बेहतर) पहनें।
- घर के अंदर रहने पर भी खिड़कियाँ बंद रखें और वायु-शुद्धक (एयर प्यूरीफायर) उपयोग करें यदि उपलब्ध हो।
- बच्चों एवं बूढ़ों को बाहर जाकर खेलने या व्यायाम करने से बचाएं।
- वाहन-उपयोग कम करें, सार्वजनिक परिवहन अपनाएं, कारपूलिंग करें, निर्माण-स्थलों के आसपास कम-से-कम समय बिताएं।
Delhi Air Pollution प्रशासन एवं नीति-निर्माताओं की भूमिका भी अहम है — प्रदूषण-स्रोतों पर नियंत्रण, निर्माण-धूल की निगरानी, कृषि-जलने वाले कार्यों का समयबद्ध रोक-थाम, वाहनों के उत्सर्जन-मानकों का सख्त अनुपालन आदि आवश्यक हैं। इस तरह की लंबी अवधि की रणनीतियों के अभाव में अप्रैल-मई या फिर सर्दियों में ऐसी ही संकट-स्थिति हर साल दोहराई जाती रही है।
संक्षिप्त रूप से, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र वर्तमान में वायु-प्रदूषण के एक गंभीर दौर से गुजर रहा है। अगले तीन दिनों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम अधिक रहने वाला है। नागरिकों को सतर्क रहने और बिना वजह बाहर निकलने से बचने की सलाह दी जाती है। स्थिति में सुधार तभी संभव है जब हम व्यक्तिगत एवं सामाजिक-दोनों स्तरों पर सक्रिय हों।
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