Wednesday, November 19, 2025
HomeFestivalGhoomar Mahotsav 2025 राजस्थान का पहला ‘घूमर महोत्सव 2025’: समृद्ध संस्कृति और...

Ghoomar Mahotsav 2025 राजस्थान का पहला ‘घूमर महोत्सव 2025’: समृद्ध संस्कृति और लोकपरंपराओं के उत्सव में माताओं-बहनों का हार्दिक स्वागत

Ghoomar Mahotsav 2025 राजस्थान का पहला ‘घूमर महोत्सव 2025’: समृद्ध संस्कृति और लोकपरंपराओं के उत्सव में माताओं-बहनों का हार्दिक स्वागत

Ghoomar Mahotsav 2025 राजस्थान में पहली बार आयोजित ‘घूमर महोत्सव 2025’ राज्य की समृद्ध संस्कृति और लोक नृत्य परंपराओं को समर्पित है। जानिए घूमर नृत्य क्या है, इसकी उत्पत्ति और इसे क्यों किया जाता है।

राजस्थान का पहला ‘घूमर महोत्सव 2025’: संस्कृति, मातृशक्ति और लोक परंपरा का भव्य उत्सव

राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर अपनी झनकार, रंग, परंपरा और सौंदर्य के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन्हीं समृद्ध परंपराओं को भव्य रूप में प्रस्तुत करते हुए प्रदेश में पहली बार ‘घूमर महोत्सव 2025’ का आयोजन किया गया है। यह महोत्सव न केवल राजस्थानी संस्कृति का उत्सव है, बल्कि माताओं और बहनों की कला, सौम्यता और परंपरागत नृत्य कुशलता को समर्पित एक अद्भुत प्रयास है।

समारोह में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई महिलाओं के पारंपरिक परिधान, घाघरा-ओढ़नी, चूड़ी-बोर, कांचली और रंग-बिरंगे दुपट्टों ने माहौल को अत्यंत मनोहारी बना दिया। हर ओर लोकनृत्य, लोकगीत, मांड, चंग और ढोल की थाप पर गूंजता राजस्थान अपनी पूरी चमक के साथ दिख रहा था।

क्या है ‘घूमर’?

घूमर राजस्थान का एक पारंपरिक लोकनृत्य है, जिसका उद्भव भील जनजाति में माना जाता है। बाद में यह राजपूत समाज से होते हुए पूरे राजस्थान की पहचान बन गया।

‘घूमर’ शब्द ‘घूमना’ से निकला है, और इस नृत्य की सबसे खास बात है—
पैरों की लयबद्ध चाल, हाथों की सुंदर मुद्राएँ और घाघरे का गोल-गोल घूमकर फूल की तरह खिल उठना।

घूमर की हर परिक्रमा, हर घूमाव और हर लय खुशी, समृद्धि और स्त्री सौंदर्य का प्रतीक मानी जाती है। महिलाएँ जब एक साथ नृत्य करती हैं, तो ऐसा लगता है मानो रंग-बिरंगे फूल हवा में एक साथ लहरा रहे हों।

क्यों करते हैं यह लोकनृत्य? घूमर का महत्व Ghoomar Mahotsav 2025

घूमर केवल एक डांस फॉर्म नहीं है, बल्कि राजस्थान की सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं का गहरा हिस्सा है।

(1) शुभ अवसरों का प्रतीक

राजस्थान में हर शुभ अवसर—चाहे शादी हो, तीज हो, गंगौर हो या दीवाली—घूमर के बिना अधूरा माना जाता है। यह नृत्य खुशी, उल्लास और शुभता का प्रतीक है।

(2) स्त्री शक्ति और सौंदर्य का उत्सव

घूमर को “स्त्री-प्रधान नृत्य” कहा जाता है। यह नृत्य महिलाओं की गरिमा, सहजता और शक्ति को सम्मान देता है।
राजस्थान में माना जाता है कि घूमर करने से महिलाओं के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होता है।

(3) समुदाय और एकजुटता का संदेश Ghoomar Mahotsav 2025

घूमर में महिलाएँ गोल घेरे में नृत्य करती हैं, जो एकता, सामूहिकता और सद्भाव का प्रतीक है। गाँव-गाँव में महिलाएँ आपसी मेलजोल और सामाजिक जुड़ाव को मजबूत करने के लिए घूमर करती हैं।

(4) पारंपरिक संगीत और संस्कृति का संरक्षण

मांड गीत, ढोल-नगाड़ा, सारंगी और चंग जैसे वाद्ययंत्रों की धुन पर होने वाला घूमर लोकसंगीत और लोक परंपरा को जीवित रखता है।

‘घूमर महोत्सव 2025’ की मुख्य झलकियाँ

  • राज्यभर से आई 2,000+ महिलाओं ने एक साथ घूमर प्रस्तुत किया, जो एक अनोखा और भव्य दृश्य था।
  • पारंपरिक राजस्थानी वाद्ययंत्रों की थाप पूरे कार्यक्रम में रोमांच भरती रही।
  • राजस्थान के प्रसिद्ध लोक कलाकारों ने मांड, पधारो म्हारे देश और तीज-त्योहार के गीतों से वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • राजस्थान सरकार ने महिलाओं की भागीदारी और लोक कला संरक्षण के लिए कई नई सांस्कृतिक योजनाओं की घोषणा की।

इस महोत्सव का उद्देश्य स्पष्ट है—
राजस्थान की संस्कृति को नई पीढ़ी से जोड़ना और दुनिया के सामने राजस्थानी लोककला की भव्यता को प्रस्तुत करना।

संस्कृति के संरक्षण का संकल्प

‘घूमर महोत्सव 2025’ के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि राजस्थान केवल महलों और किलों का प्रदेश नहीं, बल्कि रंग, संगीत, नृत्य और विविध परंपराओं से भरा सांस्कृतिक स्वर्ग है।
कार्यक्रम के आयोजकों ने घोषणा की कि घूमर महोत्सव को हर वर्ष और भी अधिक भव्य रूप में आयोजित किया जाएगा, ताकि यह परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहे।



Meet Dhurandhar: कौन-कौन है इस पॉवरफुल कास्ट में?

शोर्ट वीडियोज देखने के लिए VR लाइव से जुड़िये

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments