Wednesday, November 26, 2025
HomeEntertainmentInternational Film Festival 56वें IFFI में ईरान–इराक के फिल्मकारों की गूंज: सेंसरशिप...

International Film Festival 56वें IFFI में ईरान–इराक के फिल्मकारों की गूंज: सेंसरशिप और तानाशाही की कहानियां चर्चा में

International Film Festival 56वें IFFI में ईरान–इराक के फिल्मकारों की गूंज: सेंसरशिप और तानाशाही की कहानियां चर्चा में

International Film Festival 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में ईरान और इराक के फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों— माई डॉटर्स हेयर- राहा और द प्रेसिडेंट्स केक — के बारे में बताया। संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने सेंसरशिप, प्रतिबंधों और तानाशाही के प्रभावों पर खुलकर चर्चा की।

IFFI 2025 में ईरान–इराक के फिल्मकारों की प्रभावशाली उपस्थिति

पणजी में आयोजित 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में आज ईरान और इराक के फिल्म निर्माताओं ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपनी दो महत्वपूर्ण फिल्मों पर विस्तृत चर्चा की। इस मौके पर उन्होंने सेंसरशिप, सामाजिक प्रतिबंधों और राजनीतिक दमन के प्रभावों को लेकर गहरी चिंताएँ व्यक्त कीं। दोनों देशों के फिल्मकारों ने बताया कि कैसे उनकी फिल्में आम लोगों के जीवन में घुल चुकी कठिन वास्तविकताओं को उभारती हैं।

International Film Festival
International Film Festival

International Film Festival सेंसरशिप पर खुलकर बोले दोनों देशों के निर्देशक

ईरान के निर्देशक सईद हेसम फरहमंद जू ने अपनी फिल्म ‘माई डॉटर्स हेयर – राहा’ के बारे में बताया कि यह फिल्म पूरी तरह उनके निजी अनुभवों पर आधारित है। फिल्म में ईरानी महिलाओं के संघर्ष, उनकी पहचान और स्वतंत्रता के लिए जारी लड़ाई को संवेदनशीलता के साथ चित्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि ईरान में सामाजिक और राजनीतिक प्रतिबंधों का प्रभाव सबसे ज़्यादा महिलाओं पर दिखाई देता है।
फिल्म के निर्माता सईद खानिनामाघी ने कहा कि इंटरनेशनल सैंक्शन्स और आर्थिक प्रतिबंधों ने ईरान के मध्यम वर्ग को बेहद कमजोर कर दिया है। लोगों की जिंदगी बदली है, अवसर घटे हैं और कला–सिनेमा जगत पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। यह फिल्म IFFI में सर्वश्रेष्ठ नवोदित फीचर फिल्म श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कर रही है, जो इसकी प्रासंगिकता और संवेदनशील विषयवस्तु को रेखांकित करता है।

International Film Festival
International Film Festival

‘द प्रेसिडेंट्स केक’ में तानाशाही के दौर का सजीव चित्रण

International Film Festival इसी कार्यक्रम में इराक की फिल्म ‘द प्रेसिडेंट्स केक’ के संपादक एलेक्ज़ेंड्रो–राडू ने अपनी फिल्म के निर्माण अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि 1990 के दशक की तानाशाही शासन व्यवस्था को वास्तविकता के करीब दिखाने के लिए कई गैर-पेशेवर अभिनेताओं को शामिल किया गया। फिल्म एक युवा लड़की लामिया की कहानी है, जो तानाशाही, संसाधनों की कमी और सामाजिक दमन के बोझ तले पिसते हुए इराक की आम जनता की स्थिति को रूपक के रूप में सामने लाती है। उन्होंने बताया कि लामिया का चरित्र इराक के उस दौर में जीवित प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति की आवाज़ है — एक सिंबॉलिक रेज़िस्टेंस

दोनों फिल्मों का केन्द्र बिंदु अलग–अलग देश हैं, पर संदेश एक: राजनीतिक प्रतिबंध, सेंसरशिप और दमन आम नागरिक की जिंदगी को न केवल प्रभावित करते हैं बल्कि समाज की रचनात्मक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को भी चुनौती देते हैं।

IFFI में इन फिल्मों की प्रस्तुति ने दर्शकों, समीक्षकों और पत्रकारों के बीच एक गंभीर संवाद को जन्म दिया है, जो कला और स्वतंत्र अभिव्यक्ति की शक्ति को और मजबूत करता है।



शोर्ट वीडियोज देखने के लिए VR लाइव से जुड़िये

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए इस लींक पर क्लीक कीजिए VR LIVE

Celina Jaitly Domestic Violence घरेलू हिंसा मामले पर बोलीं सेलीना जेटली: पति पीटर पर ‘अत्याचार और छोड़ देने’ का गंभीर आरोप

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments