Sunday, December 21, 2025
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Jio-Airtel के दबदबे पर सरकार सख्त, “डुओपॉली अच्छी नहीं है”

भारत सरकार की मान्यता है कि जियो और एयरटेल का वर्तमान डुओपॉली कीमतें बढ़ाने, नवाचार को सीमित करने और प्रतिस्पर्धा को कमजोर करने का कारण बन सकता है।

टेलिकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सार्वजनिक रूप से कहा कि “डुओपॉली अच्छी नहीं है” और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों को भी श्वास लेना चाहिए ।


सरकार क्या कदम उठा रही है? Jio-Airtel

  1. 1 लाख करोड़ रुपए AGR राहत पैकेज
    • वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज को AGR (Adjusted Gross Revenue) बकाया पर बड़ी आर्थिक राहत दी जा सकती है:
      • 50% ब्याज में छूट
      • जुर्माना और उस पर ब्याज की पूरी माफी
    • इससे वोडाफोन आइडिया को ~₹52,000 करोड़, एयरटेल को ~₹38,000 करोड़, टाटा को ~₹14,000 करोड़ की राहत मिलने की उम्मीद है
  2. 6 GHz स्पेक्ट्रम बिना‑लाइसेंस उपलब्ध
    • इस नए प्रस्ताव से इससे ISP और तकनीक कंपनियों को तेज़ वायरलेस नेटवर्क बनाने में मदद मिलेगी, और बाजार में नए खिलाड़ी भी प्रवेश करेंगे
  3. BSNL/MTNL को पहली प्राथमिकता
    • राज्य और केंद्र सरकार अब BSNL/MTNL को सरकारी एवं परियोजनाओं में प्राथमिकता देने वाली हैं, ताकि ये कंपनियां भी मजबूत प्रतिस्पर्धा कर सकें .
  4. नए टेलीकॉम एक्ट (2023) के तहत
    • सरकार को अब प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने, प्रतियोगी टेल्को हों या उपभोक्ताओं को आगे बढ़ाने की शक्ति मिल गई है—जिसमें AGR सुधार, लाइसेंस फ़ीस में बदलाव, और इनसॉल्वेंसी परिस्थितियों का प्रावधान शामिल है

Jio-Airtel इन कदमों से अब क्या बदल सकता है?

प्रमुख लक्ष्यसंभावित लाभ
वोडाफोन आइडिया को बचाने में मददकंपनी को ₹52,000 करोड़ से राहत मिलने से मुकाबला मजबूत होगा
प्रतिस्पर्धा बढ़ानानए प्रसिद्ध खिलाड़ी या ISP-मॉडल कंपनियों को खेलने का मौका मिलेगा
उपभोक्ता को फायदाबेहतर प्लान रेंज, किफ़ायती दरें और विविध विकल्प
ग्रामीण/सरकारी सेवाओं में विस्तारBSNL/MTNL के ज़रिए सस्ती सेवाएं संभव, डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहन

Jio-Airtel अतिरिक्त संबंधित मसले

  • सैटेलाइट स्पेक्ट्रम विवाद:
    • जियो/एयरटेल के कई विरोधों के बाद सरकार “सैटेलाइट स्पेक्ट्रम” को लाइसेंस (non-auctioned) बेसिस पर देना चाहती है। लेकिन वे इसे उचित मूल्य पर करने पर जोर दे रहे हैं
  • VNOs (वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर्स):
    • सरकार VNO मॉडल पर भी विचार कर रही है ताकि मिनिमल इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च वाले अगली पीढ़ी के खिलाडिय़ों को भीतर से समर्थन मिल सके — लेकिन यह अभी प्रारंभिक स्तर पर है

सरकार का उद्देश्य साफ़ है: Jio-Airtel

जियो‑एयरटेल डुओपॉली को कमजोर कर पूरे टेलीकॉम क्षेत्र में नई प्रतिस्पर्धा पैदा करना—जिससे उपभोक्ता सशक्त हो, सेवाओं की गुणवत्ता बढ़े, और भारतीय डिजिटल इकोसिस्टम में विविधता आए।

दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में टेलीकॉम क्षेत्र को लेकर जो बयान दिया है, वह भारत की डिजिटल समावेशन नीति की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।


ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान – प्रमुख बिंदु:

“हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा जरूरी है। सिर्फ दो कंपनियों का दबदबा ठीक नहीं।”

🟡 यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है?

भारत के टेलीकॉम सेक्टर में इस समय लगभग डुओपॉली की स्थिति है — जियो और एयरटेल का बाजार पर 80% से अधिक नियंत्रण है। वोडाफोन आइडिया आर्थिक संकट में है, और BSNL/MTNL को पुनर्जीवित किया जा रहा है।


6 GHz स्पेक्ट्रम — लाइसेंस मुक्त किया जाएगा

📅 समयसीमा: 15 अगस्त 2025 से पहले

  • इस कदम से Public Wi-Fi सेवाओं का तेज विस्तार होगा।
  • Startups, ISPs, और छोटे टेक प्लेयर अब बिना भारी लाइसेंस फ़ीस के हाई-स्पीड वायरलेस सेवाएं दे सकेंगे।
  • डिजिटल डिवाइड (Digital Divide) को घटाने में मदद मिलेगी, विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में।

🧠 6 GHz बैंड आज के युग में Wi-Fi 6E और भविष्य के Wi-Fi 7 के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इससे 5G ऑफलोडिंग और स्मार्ट शहरों का नेटवर्क भी सशक्त होगा।


सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्पेक्ट्रम पर भी जल्द फैसला Jio-Airtel

  • सिंधिया ने यह भी कहा कि सैटेलाइट कंपनियों (जैसे OneWeb, Starlink, Jio Satellite) को भी जल्दी स्पेक्ट्रम आवंटन होगा।
  • इसका उद्देश्य है दूरदराज के क्षेत्रों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड पहुंचाना, जहां फ़ाइबर या मोबाइल टावर संभव नहीं हैं।
  • इस पर TRAI और DoT दोनों काम कर रहे हैं कि यह नीलामी हो या प्रशासनिक आवंटन के आधार पर दिया जाए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया का यह कदम टेलीकॉम क्षेत्र को एक नई दिशा देने वाला है – जिससे: Jio-Airtel

  • मोनोपॉली (या डुओपॉली) टूटेगी
  • नवाचार और लोकल प्रतियोगिता को बढ़ावा मिलेगा
  • और भारत का हर नागरिक सशक्त डिजिटल कनेक्टिविटी से जुड़ पाएगा

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