Lionel Messi in India महंगे टिकट और अंत में निराशा—कोलकाता में अव्यवस्था के बाद ममता सरकार पर गंभीर सवाल
Lionel Messi in India कोलकाता में मेस्सी इवेंट को लेकर टिकट घोटाले, अव्यवस्था और पुलिस लाठीचार्ज के आरोपों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और खेल मंत्री अरूप बिस्वास से इस्तीफे की मांग तेज हो गई है।
पश्चिम बंगाल में आयोजित फुटबॉल इवेंट को लेकर एक बार फिर राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस आयोजन में दुनिया के महान फुटबॉलर लियोनेल मेस्सी के आने की उम्मीद ने लाखों खेल प्रेमियों में उत्साह भर दिया था, लेकिन यह उत्साह जल्द ही आक्रोश और निराशा में बदल गया। आरोप है कि इस पूरे कार्यक्रम ने न सिर्फ भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार किया, बल्कि पश्चिम बंगाल के आम लोगों की भावनाओं के साथ भी लापरवाही से खेला गया।
आरोपों के मुताबिक, मेस्सी को देखने की चाह में लोगों से लगभग ₹10,000 प्रति व्यक्ति तक टिकट के नाम पर पैसे वसूले गए। इसे अब एक कथित टिकट-सेलिंग घोटाले के रूप में देखा जा रहा है। आम लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर टिकट खरीदे, लेकिन जब वे स्टेडियम पहुंचे, तो उन्हें यह जानकर झटका लगा कि मेस्सी वहां मौजूद नहीं थे। कहा जा रहा है कि आयोजन के दौरान मेस्सी को अचानक वहां से हटा लिया गया, जिससे दर्शकों में भारी गुस्सा फैल गया।



Lionel Messi in India मेसी को देखने पहुंचे फेन्स स्टेडियम में तांडव
आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि इस पूरे आयोजन से जुटाई गई बड़ी रकम आम जनता की बजाय प्रभावशाली लोगों की जेब में चली गई। विपक्ष और आलोचकों का कहना है कि आगामी चुनावों को देखते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने मेस्सी के नाम का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की और इस आयोजन को एक प्रचार के हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।
हालात उस वक्त और बिगड़ गए जब नाराज भीड़ ने मैदान में घुसने की कोशिश की और स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो गई। स्टेडियम के बाहर और अंदर अफरा-तफरी मच गई। आरोप है कि स्थिति को संभालने के नाम पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई आम दर्शकों को चोटें आईं। सिर्फ अपने पसंदीदा फुटबॉलर की एक झलक पाने आए लोगों को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा, जिसने राज्य प्रशासन की तैयारियों और नीयत दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।



इस पूरे घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के खेल मंत्री अरूप बिस्वास पर सीधी जिम्मेदारी तय की जा रही है। आलोचकों का कहना है कि इस अव्यवस्था के लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है और नैतिक आधार पर दोनों को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। उनका तर्क है कि जब एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के इवेंट का आयोजन किया जाता है, तो उसकी पारदर्शिता, सुरक्षा और प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी सरकार और संबंधित विभागों की होती है।
यह मामला सिर्फ एक इवेंट की विफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे जनता के विश्वास के साथ धोखा बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार ने उनकी भावनाओं का इस्तेमाल किया और अंत में उन्हें निराशा, अव्यवस्था और पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर गुस्सा साफ नजर आ रहा है और सरकार की तीखी आलोचना हो रही है।
अब सवाल यह है कि क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होगी, क्या टिकट बिक्री और फंड के इस्तेमाल को लेकर जवाबदेही तय की जाएगी, और क्या सरकार इस घटना से कोई सबक लेगी? फिलहाल, यह विवाद पश्चिम बंगाल की राजनीति के केंद्र में आ चुका है और आने वाले दिनों में इस पर सियासी घमासान और तेज होने की संभावना है।
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