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Lok Sabha: दिल्ली में पहली बार दो पूर्वांचलियों का मुकाबला, विचारधारा का संघर्ष

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Lok Sabha: भाजपा के दो बार से सांसद मनोज तिवारी कन्हैया उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर पहली बार दो पूर्वांचलियों में प्रतिस्पर्धा होगी।

कांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नेता कन्हैया कुमार को दिल्ली के सत्ता संग्राम में उतारा है। भाजपा के दो बार से सांसद मनोज तिवारी कन्हैया उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे। इस सीट पर पहली बार दो पूर्वांचलियों में प्रतिस्पर्धा होगी। दोनों प्रत्याशियों की अलग-अलग विशेषताओं की बदौलत, देश भर के युवा इस पद को लेकर उत्सुक होंगे।

वास्तव में, दोनों नेताओं की युवाओं की बहुतायत है। इस सीट पर विचारधारा का संघर्ष भी होगा। कन्हैया पूर्वांचल में एक वामपंथी नेता हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक मनोज तिवारी भी भाजपा के विचारधारा से जुड़े हुए हैं और दो बार से सांसद रहे हैं। वह पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से पराजित हुए थे। अब तक, यह सीट नई दिल्ली से दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज के भाजपा प्रत्याशी बनने से आकर्षक थी, लेकिन अब उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर भी दिलचस्प मुकाबला होगा।

Lok Sabha: कन्हैया का पक्ष मजबूत

वर्तमान विद्यार्थी नेता भी अच्छे वक्ता हैं

पिछले चुनाव में पराजित होने पर भी चर्चा में रहे

गठबंधन का प्रत्याशी होना भी अल्पसंख्यक मतदाताओं को आकर्षित करेगा। युवा भी पहचान

Lok Sabha: कन्हैया ने जेएनयू से यात्रा शुरू की।

कन्हैया लाल ने 2012 में पटना कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया और ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) का सदस्य बन गया. उन्होंने उत्तर पूर्व दिल्ली क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीता था। जेएनयू में छात्र राजनीति से उनका राजनीतिक जीवन शुरू हुआ। 2015 में कन्हैया कुमार ने जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष पद संभाला। 2016 में देशविरोधी नारेबाजी का आरोप लगाने पर वह इस दौरान विवादों में आ गया था। 1987 में जन्मे कन्हैया ने बिहार के बेगूसराय में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के टिकट पर पांच साल पहले लोकसभा चुनाव लड़ा था।

Lok Sabha: राजधानी में सबसे अधिक सांप्रदायिक विभाजित क्षेत्र

2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। इन क्षेत्रों में दंगों के बाद सबसे अधिक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हुआ था। इस लोकसभा क्षेत्र में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बाबरपुर और करावल नगर जैसे मुस्लिम बहुसंख्यक क्षेत्र हैं। पूरे लोकसभा क्षेत्र में 21% वोटर मुस्लिम समुदाय से हैं। इसलिए, धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा इस बार भी चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकता है।

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