Maulana Azad ; मक्का में जन्मे मौलाना आजाद, रामपुर के पहले सांसद थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से सांसद बनने के बाद देश के पहले शिक्षा मंत्री भी बने।
सऊदी अरब के मक्का में पैदा हुए देश के महान शिक्षक मौलाना अबुल कलाम आजाद ने रामपुर की ऐतिहासिक जमीन से अपनी राजनीतिक यात्रा की थी। वह आजादी के बाद देश के पहले शिक्षा मंत्री और इस सीट से पहले सांसद बने। 11 नवंबर 1888 को मक्का में जन्मे देश के महान शिक्षक मौलाना आजाद 22 फरवरी 1958 को मर गए।
नवाबों की धरती रामपुर जिले में राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से अलग पहचान है। 1774 से 1949 तक नवाबी शासन के बाद रामपुर में एक और नई कड़ी जोड़ी गई। आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद पहले सांसद बनकर रामपुर लोकसभा सीट से संसद में पहुंचे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से सांसद बनने के बाद देश का पहला शिक्षा मंत्री बन गया।
वे एक मशहूर मुसलमान विद्वान थे। उन्हें एमएयू के संस्थापक सर सैयद को आदर्श मानते हुए देश में नवीनतम शिक्षा का प्रसार हुआ। ग्यारह वर्षों तक उन्होंने देश की शिक्षा नीति का नेतृत्व किया। उन्होंने आईआईटी (Indian Institute of Technology) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की।
संस्कृति और शिक्षा को विकसित करने के लिए उन्होंने श्रेष्ठ संस्थानों की स्थापना की। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार और कवि रहे। महात्मा गांधी के विचारों का उनका समर्थन था। उनका खिलाफत आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था।
1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने, और 1940 से 1945 तक भी प्रधानमंत्री रहे। 1952 में रामपुर और 1957 में गुड़गांव से सांसद चुने गए। वे यह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और 1958 में रिटायर हो गए। 1992 में, जब वे मर गए, उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
Maulana Azad : चुनाव में 34,753 मतों से विजयी हुए
भारतीय सांस्कृतिक निधि रूहेलखंड के सह संयोजक काशिफ खां ने कहा कि अबुल कलाम पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से बाहर रहे। जबकि HMS यानी हिन्द मजदूर महासभा ने चुनावी समर में बिशन चंद्र सेठ को उतारा था। अबुल कलाम ने चुनाव में 108180 वोट पाए। बिशन चंद्र सेठ ने 73427 वोट प्राप्त किए थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 34753 मतों से जीत हासिल की।
Maulana Azad तीन बार रामपुर आए
काशिफ ने कहा कि मौलाना आजाद महज तीन बार रामपुर आए थे। पहली बार चुनाव में नामांकित हुआ। गांधी मैदान में तीसरी बार जीत का प्रमाणपत्र लेने आए। यहां के लोगों ने कहा कि मौलाना आजाद का रामपुर से सांसद बनना सौभाग्य था। जो इतिहास में खूबसूरत अक्षरों में लिखा गया है। रजा लाइब्रेरी में उनसे जुड़ीं किताबें आज भी उनकी स्मृति को जीवंत कर रही हैं, इसलिए युवा पीढ़ी को इन किताबों को पढ़ना चाहिए।
Maulana Azad : उनका संबंध सऊदी अरब के मक्का शहर से है
जैसा कि इतिहासकार बताते हैं, मौलाना अबुल कलाम आजाद अफगान उलमाओं की जाति से थे। जो बाबर के शासनकाल में हेरात से भारत आए थे। उनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन फारसी थे, और उनकी मां अरबी थीं।
1857 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, मोहम्मद खैरुद्दीन और उनका परिवार कोलकाता छोड़कर सऊदी अरब के मक्का चले गए। मौलाना कलाम आजाद का जन्म वर्ष 1888 में हुआ था। जब वह 1890 में भारत वापस आए थे। कोलकाता में मोहम्मद खैरूद्दीन को एक मुस्लिम मौलाना विद्वान के रूप में प्रशंसा मिली।
जैसा कि इतिहासकार बताते हैं, मौलाना अबुल कलाम आकाद अफगान उलमाओं की जाति से थे। जो बाबर के शासनकाल में हेरात से भारत आए थे। उनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन फारसी थे, और उनकी मां अरबी थीं।
1857 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, मोहम्मद खैरुद्दीन और उनका परिवार कलकत्ता छोड़कर सऊदी अरब के मक्का चले गए, जहां 1888 में मौलाना कलाम आजाद का जन्म हुआ। जब वह 1890 में भारत वापस आए थे। कलकत्ता में एक मुस्लिम मौलाना विद्वान के रूप में मोहम्मद खैरूद्दीन की प्रशंसा हुई।
Table of Contents
पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद
Discover more from VR News Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.