Naznin Munni सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश में घमासान कौन हैं नाज़नीन मुन्नी और क्यों भड़के हैं युवा?
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से देश के प्रशासनिक और मीडिया संस्थानों में बड़े बदलावों का दौर जारी है। इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार नाज़नीन मुन्नी को उनके पद से हटाए जाने के फैसले ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। जहाँ एक तरफ सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी इसे ‘शुद्धिकरण’ कह रहे हैं, वहीं मुन्नी के समर्थकों और कई युवा गुटों ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जानें कौन हैं बांग्लादेशी पत्रकार नाज़नीन मुन्नी और क्यों उन्हें पद से हटाए जाने पर बांग्लादेशी युवाओं में आक्रोश है। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेशी मीडिया में मचे बवाल की पूरी कहानी।
Naznin Munni कौन हैं नाज़नीन मुन्नी?
नाज़नीन मुन्नी बांग्लादेश की एक बेहद प्रभावशाली और जानी-मानी पत्रकार हैं। वह मुख्य रूप से 71 टीवी (Ekattor TV) में मुख्य समाचार संपादक (Chief News Editor) के रूप में कार्यरत थीं। उन्हें बांग्लादेशी मीडिया में एक मुखर और साहसी आवाज़ माना जाता रहा है। मुन्नी ने लंबे समय तक राजनीति, मानवाधिकार और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग की है।


हालाँकि, उन पर अक्सर शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ के प्रति नरम रुख रखने के आरोप लगते रहे हैं। विपक्षी गुटों का मानना है कि उन्होंने अपने पद का उपयोग पूर्व सरकार के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए किया।
विवाद की जड़: उन्हें क्यों हटाया गया?
5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद, बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। इसके बाद से ही उन सभी पत्रकारों और अधिकारियों को निशाना बनाया जा रहा है जिन्हें ‘हसीना शासन का करीबी’ माना जाता था। नाज़नीन मुन्नी और उनके पति मोजम्मेल बाबू (71 टीवी के एमडी) पर छात्र आंदोलन को दबाने और गलत नैरेटिव चलाने के आरोप लगे। इसी दबाव के चलते उन्हें उनके पद से हटा दिया गया और उन पर कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।


बांग्लादेशी युवा क्यों दे रहे हैं धमकी?
नाज़नीन मुन्नी को हटाए जाने के बाद बांग्लादेशी सोशल मीडिया और सड़कों पर युवाओं के दो गुट बन गए हैं। एक गुट उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है, तो दूसरा गुट (जिसमें पत्रकारिता के छात्र और उनके समर्थक शामिल हैं) इस कार्रवाई को ‘प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला’ बता रहा है।
युवाओं की नाराजगी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

- प्रेस की आजादी का हनन: समर्थकों का कहना है कि किसी पत्रकार को उसके विचारों या पिछली सरकार के साथ पेशेवर संबंधों के कारण इस तरह प्रताड़ित करना लोकतंत्र के खिलाफ है।
- प्रतिशोध की राजनीति: युवाओं के एक वर्ग का मानना है कि नई व्यवस्था केवल ‘बदला’ लेने की भावना से काम कर रही है, जिससे देश में अस्थिरता बढ़ेगी।
- सुरक्षा की चिंता: कई युवा पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि मुन्नी जैसी वरिष्ठ महिला पत्रकार को बिना किसी ठोस सबूत के निशाना बनाया गया, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और मीडिया संचालन ठप कर देंगे।
वर्तमान स्थिति
फिलहाल, बांग्लादेश में मीडिया जगत डरा हुआ है। नाज़नीन मुन्नी और उनके पति के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है कि पत्रकारों को निशाना बनाने से देश में सूचना का प्रवाह बाधित हो सकता है। युवाओं की धमकियों और सोशल मीडिया कैंपेन ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में ला दिया है।
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