Rohini Vrat Katha रोहिणी व्रत कथा 2025 रोहिणी व्रत हमें यह सिखाता है कि श्रद्धा, संयम और आत्मिक साधना
Rohini Vrat Katha 2025 रोहिणी व्रत जैन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना गया है। यह व्रत सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। जैन ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और नियमों से करता है, उसके जीवन से दुख और संकट दूर हो जाते हैं। नीचे दी गई कथा इस व्रत के पीछे की पौराणिक प्रेरणा को दर्शाती है।
Rohini Vrat Katha 2025: रोहिणी व्रत की कथा
Rohini Vrat Katha बहुत समय पहले अयोध्या नगरी में राजा अशोक नामक एक पराक्रमी और धर्मनिष्ठ राजा राज्य करते थे। उनकी पत्नी का नाम रानी रूपवती था। वे दोनों बहुत धार्मिक और परोपकारी थे, परंतु उनके जीवन में एक बड़ी समस्या थी — उनके राज्य में लगातार अशांति, बीमारी और अकाल फैला हुआ था।
राजा और रानी इस स्थिति से बहुत दुखी हुए। एक दिन रानी ने अपने गुरु आचार्य महाप्रज्ञ से समाधान पूछा। आचार्य ने कहा —
“हे रानी! यह सब तुम्हारे पूर्व कर्मों का फल है। यदि तुम रोहिणी व्रत का पालन श्रद्धापूर्वक करोगी, तो न केवल तुम्हारे राज्य में सुख-शांति आएगी, बल्कि तुम्हारा आध्यात्मिक कल्याण भी होगा।”

रानी ने अगले ही रोहिणी नक्षत्र के दिन व्रत आरंभ किया। उन्होंने प्रातःकाल स्नान कर भगवान महावीर की पूजा की, ध्यान लगाया और पूरे दिन उपवास रखा। उन्होंने व्रत के नियमों का पालन करते हुए अगले दिन प्रातः पारणा की।
कुछ ही समय में उनके राज्य की स्थिति बदलने लगी — खेतों में हरियाली लौटी, रोगी स्वस्थ होने लगे, और प्रजा में आनंद फैल गया।
राजा अशोक ने जब यह देखा तो उन्होंने भी यह व्रत आरंभ किया। कहा जाता है कि कुछ ही वर्षों में उनका राज्य “सर्वसंपन्न” बन गया और रानी रूपवती धर्मपालन और व्रत-निष्ठा की आदर्श बनीं।
धार्मिक संदेश:
यह कथा हमें सिखाती है कि आत्म-नियंत्रण, श्रद्धा और भक्ति से कर्मों का नाश होता है। रोहिणी व्रत केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि और संयम का प्रतीक है।
जैन धर्म में यह व्रत मुख्य रूप से जैन स्त्रियों द्वारा किया जाता है। माना जाता है कि इसे रखने से पति की दीर्घायु, परिवार की समृद्धि और मन की शांति प्राप्त होती है।
Rohini Vrat Katha 2025 रोहिणी व्रत विधि संक्षेप में:
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर या मंदिर में भगवान महावीर की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीपक जलाएं, और “ॐ अरहं नमः” का जाप करें।
- दिनभर उपवास रखें या फलाहार करें।
- रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के दौरान ध्यान और आरती करें।
- अगले दिन प्रातःकाल पारणा करें।
फल एवं लाभ:
- पाप कर्मों का क्षय होता है।
- घर में सुख और शांति बनी रहती है।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थिरता आती है।
- रोग और संकटों से रक्षा होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति और आत्मबल की वृद्धि होती है।
रोहिणी व्रत हमें यह सिखाता है कि श्रद्धा, संयम और आत्मिक साधना के द्वारा हम न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
इस व्रत की कथा यह प्रेरणा देती है कि सच्ची भक्ति और कर्मनिष्ठा से हर संकट का समाधान संभव है।
Rohini Vrat 2025: धार्मिक शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक — कल है रोहिणी व्रत!
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