Tarique Rahman Returns बांग्लादेश की राजनीति में भूचाल 15 साल बाद वतन लौटे तारिक रहमान, पत्नी और बेटी भी साथ; अब लड़ेंगे चुनाव
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान अपने परिवार के साथ लंदन से बांग्लादेश लौट आए हैं। वे आगामी चुनावों के लिए मतदाता सूची में नाम दर्ज कराएंगे और नामांकन पत्र भरेंगे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
निर्वासन का अंत और सत्ता की ओर कदम: तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी से चुनावी सरगर्मियां तेज
ढाका: बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान, अपने लंबे निर्वासन को खत्म करते हुए लंदन से स्वदेश लौट आए हैं। उनके साथ उनकी पत्नी जुबैदा रहमान और बेटी जायमा रहमान भी मौजूद हैं। तारिक रहमान की यह वापसी केवल एक पारिवारिक पुनर्मिलन नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश के बदलते सियासी माहौल और आगामी आम चुनावों की दिशा तय करने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
हवाई अड्डे पर समर्थकों का सैलाब


जैसे ही तारिक रहमान का विमान ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, वहां का नजारा देखने लायक था। बीएनपी के हजारों कार्यकर्ता और समर्थक अपने नेता की एक झलक पाने के लिए घंटों से इंतजार कर रहे थे। ‘जिया जिया’, ‘खालेदा जिया’ और ‘तारिक रहमान’ के नारों से पूरा परिसर गूंज उठा। यह वापसी बीएनपी कार्यकर्ताओं के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है, जो पिछले कई वर्षों से अपने नेतृत्व की अनुपस्थिति में संघर्ष कर रहे थे।
तारिक रहमान कौन हैं? (Who is Tarique Rahman?)
तारिक रहमान बांग्लादेश की राजनीति के ‘राजकुमार’ माने जाते हैं। उनका संबंध वहां के सबसे ताकतवर राजनीतिक परिवार से है:
- पिता: जियाउर रहमान (बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और BNP पार्टी के संस्थापक)।
- मां: खालिदा जिया (बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और BNP की चेयरपर्सन)।
- वर्तमान पद: वे ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष (Acting Chairman) हैं। चूँकि उनकी मां खालिदा जिया बीमार हैं और जेल/नजरबंदी में रही हैं, इसलिए पिछले कई सालों से पार्टी की कमान असल में तारिक के हाथ में ही है।
अब तक वो कहां थे? (Where was he until now?)
- लंदन (London) में: तारिक रहमान पिछले 15-16 सालों (2008 से) से ब्रिटेन की राजधानी लंदन में रह रहे थे।
- क्यों गए थे? 2007-08 में बांग्लादेश में सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार थी। उस दौरान उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्होंने खराब सेहत का हवाला दिया और इलाज के लिए 2008 में लंदन चले गए।
- वापस क्यों नहीं आए? इसके बाद बांग्लादेश में शेख हसीना (अवामी लीग) की सरकार आ गई। शेख हसीना और खालिदा जिया का परिवार एक-दूसरे का कट्टर दुश्मन है। हसीना सरकार के दौरान तारिक पर कई गंभीर मुकदमे चलाए गए और उन्हें सजा भी सुनाई गई, इसलिए वे गिरफ्तारी के डर से वापस नहीं आए। इसे ‘राजनीतिक निर्वासन’ (Exile) कहा जाता है।
चुनावी तैयारी: अब बनेंगे मतदाता
Tarique Rahman Returns वतन वापसी के साथ ही तारिक रहमान ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, उनकी प्राथमिकता सबसे पहले खुद को और अपने परिवार को देश की मतदाता सूची (Voter List) में फिर से पंजीकृत कराना है। पिछले शासनकाल में कानूनी पेचीदगियों और निर्वासन के कारण उनकी नागरिकता और मतदाता पहचान पत्र को लेकर कई विवाद खड़े किए गए थे। अब बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में, वे नए सिरे से मतदाता बनने की प्रक्रिया पूरी करेंगे। यह प्रक्रिया उनके चुनाव लड़ने के लिए अनिवार्य है।
नामांकन पत्र भरने की तैयारी
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पुष्टि की है कि तारिक रहमान आगामी संसदीय चुनावों में हिस्सा लेंगे। मतदाता सूची में नाम शामिल होते ही वे अपना नामांकन पत्र (Nomination Paper) दाखिल करेंगे। माना जा रहा है कि वे बगुरा (Bogra) सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, जो कि बीएनपी का पारंपरिक गढ़ रहा है। इसके अलावा, वे ढाका की किसी सीट से भी किस्मत आजमा सकते हैं। उनकी पत्नी डॉ. जुबैदा रहमान के भी राजनीति में सक्रिय होने के कयास लगाए जा रहे हैं, हालांकि इस पर अभी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है।


कानूनी अड़चनें और नई राह
शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश की न्यायपालिका और प्रशासन में भी बड़े बदलाव आए हैं। तारिक रहमान पर जो पुराने मामले (जैसे 21 अगस्त ग्रेनेड हमला और मनी लॉन्ड्रिंग केस) चल रहे थे, उनमें उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है। उनके वकीलों का कहना है कि ये मुकदमे राजनीति से प्रेरित थे और अब निष्पक्ष जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी। फिलहाल, उनकी वापसी को देश में लोकतंत्र की बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।
बीएनपी में नई जान
तारिक रहमान की भौतिक उपस्थिति ने बीएनपी के संगठनात्मक ढांचे में नई जान फूंक दी है। लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पार्टी चलाने और जमीन पर उतरकर नेतृत्व करने में जमीन-आसमान का फर्क होता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तारिक की वापसी से पार्टी के भीतर की गुटबाजी खत्म होगी और विपक्ष एक मजबूत ताकत बनकर उभरेगा।
Tarique Rahman Returns भविष्य की चुनौतियां
हालांकि, राह इतनी आसान भी नहीं है। देश अभी भी अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। अंतरिम सरकार के साथ तालमेल बिठाना, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के वादे करना और अवामी लीग के वोट बैंक में सेंध लगाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा, भारत और अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर उनका रुख भी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। तारिक रहमान की वापसी ने बांग्लादेश के चुनावी समर को और भी दिलचस्प बना दिया है। अब देखना यह होगा कि क्या वे अपनी पार्टी को फिर से सत्ता के शिखर तक पहुंचा पाते हैं या नहीं।
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