UP: अयोध्या चुनाव में भाजपा की पराजय के कई कारण हैं। राम मंदिर में पार्टी उलझी हुई थी। आम मतदाताओं के सुख-दुख से सांसद दूर हो गए। सांसद द्वारा संविधान संशोधन पर दिए गए बयान ने विवाद को बढ़ा दिया। सपा की रणनीति ने बाकी खेल को विफल कर दिया।
भाजपा को लोकसभा चुनाव में फैजाबाद (अयोध्या) सीट की हार ने भारी चोट पहुँचाई है। यह आम सीट हार नहीं है। भाजपा के प्रतीकों का इस्तेमाल एक बड़ी विफलता माना जाता है। सांसद लल्लू सिंह के संविधान संशोधन को लेकर दिए गए बयान और स्थानीय मुद्दों पर उनकी निष्क्रियता हार के और भी कई कारण हैं।
वास्तव में, 2024 के चुनाव में भाजपा का मुख्य मुद्दा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण था। दलितों को राहत देने के लिए एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि रखा गया। अयोध्या में राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने बहुत सारे विकास कार्य किए हैं। चुनाव से पहले भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
भाजपा इसके बावजूद फैजाबाद की सीट हार गई। भाजपा की फैजाबाद की पराजय से लोग हैरान हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अयोध्या में भाजपा की स्थिति पिछले लगभग तीन वर्षों से कमजोर हो रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अयोध्या की दो सीटें खो दीं।
गोसाईंगंज और मिल्कीपुर सपा के पास थे। 2017 और 2019 में भाजपा ने ये सीटें जीती थीं। विधानसभा चुनाव के बाद, भाजपा राम मंदिर बनाने पर ध्यान देने लगी, जबकि सपा अंदरखाने अयोध्या लोकसभा सीट जीतने की तैयारी करती रही। भाजपा ने उसे नहीं समझा।
2014 में, भाजपा को 48.08 प्रतिशत वोट मिले, जबकि सपा को 20.43 प्रतिशत वोट मिले। 2019 में भाजपा 48.66 प्रतिशत और सपा 42.66 प्रतिशत पर पहुंच गई। भाजपा इस बार लगभग 4.85 प्रतिशत वोट की गिरावट के साथ 43.81% पर रही, जबकि SP 5.95 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 48.59% पर पहुंच गया।
UP: दलितों और पिछड़ों को संविधान संशोधन का विचार भड़काया।
UP: बीच चुनाव में भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि सरकार सिर्फ 272 सीटों पर बन सकती है, लेकिन संविधान को बदलने या संशोधन करने के लिए दो तिहाई सीटों की आवश्यकता होती है। भारत गठबंधन के नेता ने लल्लू के इस बयान को सराहा।
यह सिर्फ अयोध्या में नहीं बल्कि पूरे देश में संविधान बदलने की साजिश के तौर पर प्रस्तुत किया गया था, जिसमें पिछड़े और दलित मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश की गई थी। राम मंदिर की भावना में इस प्रभाव को भाजपा ने अनदेखा कर दिया। यह हार की बहुत सी वजहों में से एक था।
UP: पार्टी की रणनीति को समझ ही नहीं पाया
भारत गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में अयोध्या को जीतने के लिए बहुत कुछ किया। फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र सामान्य है। यहां, हर लोकसभा चुनाव में, अगड़े और पिछड़े के बीच तुलना की जाती है। पिछली बार भाजपा ने लल्लू सिंह को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन इस बार सपा ने आनंदसेन यादव को चुना। भाजपा ने बाजी हासिल की।
सपा ने इस बार अपनी रणनीति बदली। जैसा कि हमेशा की तरह, पिछड़े और सामान्य जाति के उम्मीदवारों की जगह दलित उम्मीदवार को चुना गया। वह भी पासी है। करीब डेढ़ लाख पासी वोटबैंक इस सीट पर हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी और निषाद भी बहुत हैं।
भारत गठबंधन ने अयोध्या को लोकसभा चुनाव में जीतने के लिए बहुत कुछ किया। फैजाबाद (अयोध्या) सांसदीय सीट सामान्य है। यहां, हर लोकसभा चुनाव में, अग्रणी और अल्पसंख्यक के बीच तुलना होती है। भाजपा के पिछले प्रत्याशी लल्लू सिंह के खिलाफ सपा ने आनंदसेन यादव को चुना। भाजपा ने बाजी की।
इस बार SP ने अपनी रणनीति बदली। जैसा कि हमेशा होता है, दलित उम्मीदवार को पिछड़े और सामान्य जाति के उम्मीदवार की जगह दी गई। वह पासी भी है। करीब डेढ़ लाख पासी लोग इस सीट पर वोट देते हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में भी बहुत से कुर्मी और निषाद हैं।
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UP: भाजपा की अयोध्या हार के कई कारणों में से एक, राम मंदिर की बहस; सपा की रणनीति ने खेल बिगाड़ा
Ram Mandir बनने के बाद भी Ayodhya क्यों हारे Modi ? Akhilesh Yadav ने कैसे किया खेल? | News24 LIVE
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