Mastani Mahal:

Mastani Mahal: योगी सरकार एक करोड़ रुपये से मस्तानी महल की मरम्मत करेगी, जो बाजीराव मस्तानी की प्रेमकथा का गवाह है

Uttar Pradesh

Mastani Mahal: बुंदेलखंड में बाजीराव पेशवा और मस्तानी की प्रेम कहानी लोककथा की तरह सुनाई देती है। दोनों के प्यार का आज भी महोबा के जैतपुर में सुंदर मस्तानी महल है। सरकार अब इस बड़े दुर्ग को बचाने जा रही है। पर्यटन के लिए मस्तानी महल को एक करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा. इसके लिए 50 से 50 लाख रुपये के दो प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। शासन भी इसे मंजूर कर चुका है। ऐतिहासिक मस्तानी महल का पर्यटन विकास अब तेजी से हो सकता है।

महाराजा छत्रसाल बुन्देला (4 मई 1649–20 दिसंबर 1731) कथा का केंद्र है। महाराज छत्रसाल मध्ययुगीन क्षत्रिय योद्धा के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होने युद्ध में औरंगज़ेब को हराया और बुन्देलखण्ड को स्वतंत्र राज्य बनाया, और उनकी मुस्लिम रानी से जन्मी पुत्री मस्तानी से बाजीराव पेशवा का प्रेम हुआ। छत्रसाल बुन्देला और बाजीराव प्रथम के बीच संबंध पिता-पुत्र जैसे थे, जैसा कि मस्तानी लेखक दत्तात्रेय गणेश गोडसे ने बताया है। मृत्यु से पहले ही छत्रसाल बुन्देला ने बाजीराव प्रथम को महोबा और आसपास का क्षेत्र सौंप दिया था। महाराजा छत्रसाल की जैतपुर रियासत बुंदेलखंड में सबसे अमीर थी। छोटे बेटे जगतराज को जैतपुर की जागीर दी गई। बड़े बेटे हृदयशाह को पन्ना की ज़मीन दी गई।

Mastani Mahal: बाजीराव को महाराज छत्रसाल ने अपना बेटा मान लिया।

1728 में, इलाहाबाद के मुगल सूबेदार बंगश खां ने जैतपुर पर हमला किया। उस समय महाराज छत्रसाल बहुत बूढ़े थे, और उनका बड़ा बेटा हृदयशाह जैतपुर की जागीर नहीं मिलने से नाराज़ था और युद्ध में उनके साथ भागने से मना कर दिया। महाराज छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा को पत्र लिखकर सहायता की मांग की।युद्ध में बाजीराव पेशवा ने महाराजा छत्रसाल की मदद से बंगश खां को हराया। युद्ध के बाद महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा को अपना तीसरा बेटा मानते हुए झांसी, कोंच, जालौन, सागर आदि राज्य का एक तिहाई हिस्सा दे दिया।

Mastani Mahal: मस्तानी ने जहर खाकर आत्महत्या कर दी थी

इसी युद्ध में मस्तानी बाजीराव ने जीत हासिल की, इतिहासकार एलसी अनुरागी ने बताया। युद्ध के बाद पेशवा ने महाराज छत्रसाल से मस्तानी का हाथ मांगा। महाराज छत्रसाल ने मस्तानी और बाजीराव पेशवा को विवाह कराया और मस्तानी को महल उपहार में दिया। इतिहासकारों ने बताया कि बाजीराव पेशवा की मृत्यु के बाद मस्तानी ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर दी। इसके बाद, उनका प्रेम अमर हो गया। आज भी युवा बेलाताल कस्बे में मस्तानी महल में आकर अपने प्रेम को याद करते हैं।

Mastani Mahal: एक करोड़ से कायाकल्प होगा

सरकार ने ऐतिहासिक सम्पदा को बचाने का फैसला किया और बेलाताल को पर्यटन सर्किट बनाने की योजना बनाई। इसे सैलानियों के लिए तैयार किया जा रहा है, मस्तानी महल भी सुरक्षित है। पहले प्रस्ताव में 50 लाख रुपये की लागत से मस्तानी महल तक पहुंचने वाले पहुंच मार्ग का उच्चीकरण और पर्यटकों के बैठने के लिए फर्नीचर आदि की व्यवस्था की जाएगी, जबकि दूसरे प्रस्ताव में मस्तानी महल का सौंदर्यीकरण, पार्किंग और पर्यटन विकास से जुड़े अन्य कार्यों का निर्माण किया जाएगा।

Mastani Mahal: यहां देश भर से पर्यटक आते हैं

जिला पर्यटन अधिकारी चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने बताया कि ऐतिहासिक मस्तानी महल को पर्यटन के लिए विकसित करने के लिए शासनादेश भी जारी किया गया है और यूपीपीसीएल को कार्यदायी संस्था के तौर पर नामित किया गया है।सरकार की पहल से मस्तानी महल का पर्यटन विकास तेजी से होगा, जिससे देश भर से पर्यटक मस्तानी महल देखने आ सकेंगे।

Mastani Mahal: योगी सरकार एक करोड़ रुपये से मस्तानी महल की मरम्मत करेगी, जो बाजीराव मस्तानी की प्रेमकथा का गवाह है


THE REAL MASTANI MAHAL (WITH A TRAGIC ENDING)


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