Sara Ali Khan : nकरण जौहर की फिल्म ए वतन मेरे वतन का ट्रेलर जारी हो चुका है। सारा अली खान और इमरान हाशमी इस फिल्म में पहली बार एक साथ काम करेंगे। यह फिल्म रियल लाइफ इंसीडेंट पर बेस्ड फ्रीडम फाइटर ऊषा मेहता की जीवनी पर आधारित है। 21 मार्च को कनन अय्यर निर्देशित फिल्म का प्राइम वीडियो प्रीमियर होगा।
पूरी तरह से फिल्म के ट्रेलर में शुरू से अंत तक छाई हुई हैं। फिल्म की कहानी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन से प्रेरित है
Sara Ali Khan ट्रेलर पर छा गईं

दर्शकों को आजादी से पहले का दौर दिखाया जाता है। गांधीवादी विचारों से प्रेरित होकर 22 वर्षीय बंबई की कॉलेज गर्ल उषा मेहता देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेती है। वो गुपचुप रेडियो स्टेशन चलाकर इस लड़ाई में भाग लेती हैं। यही रेडियो स्टेशन भारत छोड़ो आंदोलन का सबसे बड़ा स्रोत बन जाता है।
इमरान का गेस्ट अपीयरेंस फिल्म में होगा
Sara Ali Khan भी नजर आएंगे। वहीं, इमरान हाशमी इसमें अतिथि अपीयरेंस में शामिल होंगे। ट्रेलर में उनके किरदार भी दिखाई देते हैं। लेकिन उन्हें पहचानना बहुत मुश्किल है।
Sara Ali Khan : फिल्म देश की आजादी में युवा लोगों के योगदान की कहानी है।
इस फिल्म का ट्रेलर दर्शकों को आजादी से पहले के दौर में ले जाता है, जिसमें सारा अली खान ने बंबई की 22 साल की एक कॉलेज-गर्ल, उषा को देखा जाता है, जो गुपचुप तरीके से एक रेडियो स्टेशन चलाती है और भारत को आजादी दिलाने में मदद करने की अपनी कोशिश करती है। धीरे-धीरे यही रेडियो स्टेशन भारत छोड़ो आंदोलन का सबसे बड़ा स्रोत बन जाता है। फिल्म के ट्रेलर में उनके किरदार के माध्यम से भारत की आजादी की लड़ाई में देश के युवा लोगों की साहस, बलिदान और मुश्किलों का सामना करने की उनकी क्षमता को दिखाया गया है।
ऊषा मेहता कौन थीं?

ऊषा मेहता एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने 25 मार्च 1920 को गुजरात के सूरत में जन्म लिया था। ऊषा ने मात्र आठ वर्ष की उम्र में साइमन कमीशन प्रोटेस्ट मार्च में पहली बार भाग लिया था। इसके बाद, उन्होंने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। महात्मा गांधी ने उनका रेडियो प्रसारण और सन्देश प्रसार किया था।
1942 से 1944 तक आजाद रेडियो उनका मुख्य कार्यक्षेत्र था। वो समाचार पत्रों और प्रसारण को ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एकजुट करती थीं और लोगों को आजादी का संदेश देकर आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए प्रेरित करती थीं। 1998 में ऊषा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

